सात घंटे तक घरों में कूदता रहा पेंथर, लोग लेते रहे सेल्फी, आखिरकार कर दिया बेहोश

liyaquat Ali
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अलवर
शहर की पॉश कॉलोनी स्कीम नम्बर एक में शुक्रवार को पैंथर ने 7 घंटे तक खौफ बनाए रखा। इससे लोग घरों में कैद हो गए। सुबह 6 बजे घुसे पैंथर को दोपहर 1 बजे टैं्रकुलाइज किया गया,जिसके बाद लोगों ने राहत की सांस ली।
जानकारी के मुताबिक  कॉलोनी में सबसे पहले सीए नीरज गर्ग के मकान नं. 217 में पैंथर दिखाई दिया। पैंथर को मकान की छत पर घूमते हुए लोगों ने देखा तो उन्होंने वन विभाग और पुलिस को सूचित किया गया। सूचना पर वनविभाग, पुलिस, क्यूआरटी टीमें पहुंच गई और पैंथर को रेस्क्यू करने की तैयारी शुरू कर दी।
पैंथर को पकडऩे के लिए रेस्क्यू टीम ने बाल भारती स्कूल की छत पर अपना मोर्चा जमाया,जहां बोर्ड की परीक्षाएं भी चल रही थी और ऐसे में रेस्क्यू टीम भी विद्यार्थियों को तनाव में नहीं डालना चाहती जिसके चलते टीम छत पर छिपे पैंथर की हलचल के इंतजार में खड़ी रही। पैंथर करीब चार घंटे तक छत पर जहां छिपा रहा। सुबह करीब 11.30 बजे ये पैंथर छत से छलांग मारता हुआ पास ही स्थित पत्रकार हरीश जैन के मकान की छत पर आया तो रेस्क्यू टीम की हलचल बढ़ी और उसने पैंथर को ट्रैंकुलाइज करने का प्रयास किया,लेकिन विफल रही।
जैन के मकान की छत से यह पैंथर नीचे कूदा और बाउण्ड्री की दीवार पर चढ़ा तो उसका पैर फिसल गया,जिसके बाद करीब दो मिनट तक चक्कर काटता रहा, इस दौरान उसने वहां गमलों को भी क्षतिग्रस्त कर दिया। पैंथर गेट से निकलकर सड़क पर खड़ी भीड़ को चीरकर भागा तो लोगों में अफरा-तफरी मच गई। शुक्र रहा कि इस दौरान कोई हादसा नहीं हुआ। भागता हुए पैंथर डॉ.चमन जैन के मकान के पास ही  व्यापारी विशोक शर्मा के खाली प्लॉट में खड़ी वैन के नीचे छिप गया। रेस्क्यू टीम ने उसे वहां घेर लिया और टैंकुलाइज करने में सफलता प्राप्त कर ली।
ट्रैंकुलाइज करने में वन विभाग के पसीने छूट गए। करीब 5 राउंड फायर करने के बाद भी पैंथर को कीटामाइन से भरी दवाई नहीं दी जा सकी,वहीं बाल भारती स्कूल की छत से लगातार वन विभाग के कर्मचारी पैंथर को ट्रैंकुलाइज करने में जुटे रहे। जिस मकान में पैंथर बैठा हुआ था उसके सामने की दीवार को तोड़कर ट्रैंकुलाइज करने का प्रयास किया तो पैंथर जीने में रखे सामान के नीचे दुबक गया।  सरिस्का बाघ परियोजना से जुड़े एडवोकेट संजीव कारगवाल का कहना था कि जिस समय पैंथर को रेस्क्यू किया जा रहा था उस समय लोगों ने वन विभाग को सहयोग नहीं किया जिसके चलते इतना समय लग गया।
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