जयपुर । डिस्काम अधिकारियों की इस लापरवाही का खुलासा भारत के नियंत्रक महालेखापरीक्षक की रिपोर्ट में हुआ है। जयपुर विद्युत वितरण निगम को वर्ष 2013 में की गई करीब एक लाख थ्री फेज मीटर की खरीद में 28 करोड रुपए का नुकसान उठाना पड़ा है। दो क पनियों से खरीदे गए मीटरों में एक निश्चित सीमा के बाद आई खराबी के कारण ये डिस्काम के लिए घाटे का सबब बन गए वहीं अधिकारियों की लापरवाही के कारण इन मीटरों को वापस क पनी को नहीं भेजा गया। ऐसे में जहां मीटरों ने गलत रीडिंग कर डिस्काम को चपत लगाई वहीं खराब मीटरों को बदलने में देरी ने कोढ़ में खाज का कार्य किया।
यह है मामला
कैग की रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2013 में 2 हजार 565 रुपए प्रति मीटर की दर से 19 हजार 660 तथा 2 हजार 990 रुपए प्रति मीटर की दर से 80 हजार थ्री फेज मीटर की खरीद के आदेश जारी किए गए थे। इसके बाद क पनी ने मीटरों की आपूर्ति भी कर दी। इसकी निविदा में शर्त थी कि मीटर खराब होने की स्थिति में 45 दिनों में खराब मीटर बदल दिए जाएंगे। फरवरी 2016 में मीटरों में अजीब कमियां देखी गई। इसमें एक निश्चित बिंदु पर आकर मीटर खराब हो गए तथा कई स्थानों पर मीटर ने उल्टी रीडिंग निकालना शुरू कर दिया।
मीटर खराब होने की सूचना पर डिस्काम के तत्कालीन प्रबन्ध निदेशक ने सभी मीटर वापस करने तथा उन्हे बदलने के निर्देश भी जारी किए किन्तु मीटर शाखा के अधिकारियों ने इस पर ध्यान नहीं दिया तथा सभी मीटरों को क पनी को वापस करने के स्थान पर स्टोर में पडे हुए खराब मीटरों को ही बदलने की प्रक्रिया अपनाई गई। ऐसे में मार्च 2017 तक खरीदे गए कुल 99 हजार 660 मीटरों में से सिर्फ 5 हजार मीटर ही बदले गए।
अपनी रिपोर्ट में कैग ने टिप्पणी की है कि लापरवाही के कारण खराब मीटरों को पहले तो सभी स्तरों पर सही बताया गया तथा जब मीटर खराब होने की बात सामने आई तो उसके उपरांत भी इन मीटरों को उपभोक्ता के यहां से नहीं हटाया गया। इसके कारण डिस्काम को जहां मीटर खरीद में नुकसान उठाना पडा वहां मीटर खराब होने के कारण बिजली बिलों की राशि की सही गणना नहीं हो पाई इसके कारण भी डिस्काम को राजस्व का नुकसान हुआ।