देव उठनी ग्यारस बुधवार को: शहर में फिर से गुंजेगी शहनाई की, लेकिन सड़कों पर नहीं निकलेगी बारात

liyaquat Ali
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Jaipur News। चार से पांच माह तक देव सोने के बाद 25 नवम्बर को देव प्रबोधिनी एकादशी है जिसके बाद से मांगलिक कार्यों की शुरुआत होने वाली है। 25 नवम्बर से  देव प्रबोधिनी एकादशी को अबूझ सावे की स्थिति रहने के कारण इस दिन सावों की धूम रहेगी और और काफी जोड़े परिणय सूत्र में बधेंगे। लेकिन कोरोना महामारी के चलते सरकार की गाइडलाइन की पालना में शहनाई की गुंज तो रहेगी पर सडकों पर ​बरात निकलने की अनु​​​मति नहीं है। वहीं इसके अलावा शादी समारोह में 100 लोगों को शामिल होने की अनु​मति मिली है इससे अधिक मिलने पर सरकार द्वारा 25 हजार रुपये का जुर्माने का प्रावधान रखा है। देवउठनी एकादशी पर देव उठने के साथ ही शहर में विवाह, गृहप्रवेश, मुंडन, जनेऊ, गृहारंभ, देव प्राण प्रतिष्ठा, व्यापार आदि मांगलिक कार्यों का शुभारंभ हो जाएगा। देवउठनी एकादशी पर्व को लेकर लोगों में हर्षोल्लास का वातावरण बना हुआ है। खासकर जिनके यहां वैवाहिक कार्यक्रम होने हैं वे तैयारियों में लगे हुए हैं। इस पर्व को तुलसी विवाह का दिन भी माना जाता है। एकादशी पर्व को देवउठनी व गन्ना त्योहार के नाम से भी जाना जाता है।

कई जगह होगे तुलसी विवाह
भगवान विष्णु के स्वरुप शालिग्राम और माता तुलसी के मिलन का पर्व तुलसी विवाह हिन्दू पंचांग के अनुसार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाया जाता है। देवप्रबोधिनी एकादशी के दिन मनाए जाने वाले इस मांगलिक प्रसंग के सुअवसर पर भक्तगण घर की साफ-सफाई करते हैं और रंगोली सजाते हैं। शाम के समय तुलसी चौरा यानि तुलसी के पौधे के पास गन्ने का भव्य मंडप बनाकर उसमें साक्षात् नारायण स्वरुप शालिग्राम की मूर्ति रखते हैं और फिर विधि-विधानपूर्वक उनके विवाह को संपन्न कराते हैं। तुलसी विवाह के सुअवसर पर व्रत रखने का बड़ा ही महत्व है। आस्थावान भक्तों के अनुसार इस दिन श्रद्धा-भक्ति और विधिपूर्वक व्रत करने से व्रत करने वाले के इस जन्म के साथ-साथ पूर्वजन्म के भी सारे पाप मिट जाते हैं और उसे पुण्य की प्राप्ति होती है।
भगवान सालिगराम चांदी के रथ में गर्भगृह में होंगे विराजमान
इधर कार्तिक मास की देवउठनी एकादशी पर शहर के आराध्य देव गोविंददेव जी मंदिर में तड़के ही मंगला आरती से लेकर शयन आरती तक कई कार्यक्रमों का आयोजन होंगा।  प्रबंधक मानस गोस्वामी ने बताया कि धूप झांकी के बाद सुबह 9.30 बजे भगवान सालिगराम को मंदिर के दक्षिण पश्चिम कोने पर स्थित तुलसी मंच पर विराजमान किया जाएगा। फिर महंत अंजन गोस्वामी के सानिध्य में उनका पंचामृत अभिषेक, पूजन-आरती व तुलसी पूजन करेंगे। इसके बाद तुलसी और भगवान सालिगराम की परिक्रमा के बाद उन्हें को चांदी के रथ में बैठाकर मंदिर के गर्भगृह में विराजमान करवा कर नई पोशाक धारण करवाई जाएगी।
वहीं इसके अलावा शहर के अन्य मंदिर राधा माधवजी कनकघाटी, रामगंज चौपड़ स्थित मुरली मनोहरजी सहित अन्य मंदिरों में भी देव उठनी एकादशी पर तुलसी-सालिगराम विवाह होगा। गलताजी में सीतारामजी, राम कुमार, राम-गोपाल मंदिर सहित पीठ के सभी मंदिरों में ब्रह्म मुहूर्त में ठाकुरजी को मंत्र ध्वनि के साथ जगाया जाएगा। बड़ी चौपड़ स्थित लक्ष्मीनारायण बाईजी मंदिर में भी सुबह शंख-घंटा-घड़ियाल की मधुर स्वर लहरियों के बीच उतिष्ठो-उतिष्ठो नारायण मंत्र के साथ ठाकुरजी को जगाया जाएगा।  दोपहर को तुलसी-सालिग्राम विवाह होगा। पानों का दरीबा सुभाष, चौक स्थित शुक संप्रदाय आचार्य पीठ सरस निकुंज में देवउठनी एकादशी पर ठाकुर राधा सरस बिहारी सरकार को सुबह पीठ के आचार्यों के रचित पदों की मधुर स्वर लहरियों के साथ जगाया जाएगा। अभिषेक, पूजा व शृंगार के कार्यक्रम होंगे।
कई जगह होगे बाल विवाह
देव उठनी ग्यारस के अबूझ सवा होने के कारण शहर के बाहरी इलाकों में इस असवर पर कई बाल विवाह होगे और कई नाबालिग परिणय सूत्र में बधेगे। क्यों कि ग्रमीण लोग देव उठनी ग्यारस को शुभ मानते है। वहीं इन बालविवाहों को रोकने के लिए प्रशासन पूरी तरह तैयार है। जिससे इस दिन होने वाले बालविवाहों पर पूरी तरह रोक लगाई जा सके।
गौरतलब है कि सरकार ने शादी में 100 लोगों के शामिल होने की अनुमति दे रखी है, लेकिन कोरोना संक्रमण बढ़ने और धारा 144 लगाने से जिन घरों में विवाह समाराेह होने हैं वे परेशानी में पड़ गए हैं, क्योंकि सौ लोगों में पंडित, रसोइया, टेंट, फोटोग्राफर भी शामिल हैं। ऐसे में खास मेहमानों को ही बुलावा दे सकेंगे। दूसरी बात निषेधाज्ञा लागू होने से शादी में शामिल होकर आने-जाने वाले पांच से ज्यादा लोगों के एक ही जगह एकत्रित होने पर उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई का डर भी सता रहा है।
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