एलर्जिक राइनाइटिस एक प्रकार की एलर्जी है जो जुकाम से अलग होती है। यह विशेष एलर्जन की वजह से होता है । जबकि सर्दी जुकाम वायरस या संक्रमण की वजह से होता है।
जब कोई व्यक्ति पहली बार एलर्जन के संपर्क मैं आता है तो उसके शरीर में आईजीई एंटीबॉडी का उत्पादन होता है। ये एंटीबॉडी रक्तप्रवाह मैं एलर्जन का पता लगाती हैं और इन्हें खत्म करने के लिए सफेद रक्त कोशिकाओं की तरफ ले जाती हैं। इस प्रक्रिया मैं हिस्टामाइन नामक रसायन जारी होता है जिसके परिणामस्वरूप एलर्जी की समस्या उत्पन्न होती है।
एलर्जिक राइनाइटिस के मुख्य लक्षण – नाक से पानी बहना, लगातार छींके आना, आंखो मैं खुजली होना व पानी आना, नाक बंद होना और सिरदर्द जैसी मुख्य समस्याएं होती हैं।
एलर्जिक राइनाइटिस के प्रकार- मुख्यत दो प्रकार की होती हैं। पहली बदलते मौसम मैं जिसके लक्षण एलर्जन परागकणों की वजह से बदलते मौसम मैं कुछ समय के लिए रहते हैं।
दूसरी हमेशा रहने वाली जिसके लक्षण पूरे वर्ष रहते हैं ये मुख्यत धूल, धुआं, डस्ट माइट कि वजह से होती हैं
एलर्जिक राइनाइटिस के कारण – इसके मुख्यत आनुवांसिक और वातावरणीय कारण होते हैं। धूल मिट्टी, धुआं, परगकणों का शरीर मैं नाक द्वारा प्रवेश करना, बदलता हुआ मौसम, तापमान मैं अचानक परिवर्तन होना। इसके अलावा पालतू जानवर या किसी विशेष खाद्ध सामग्री से भी एलर्जी हो सकती है।
सावधानी एवं बचाव- धूल, धुएं से बचाव। घर मैं पर्याप्त वेंटिलेशन हो, बिस्तर कि चादर और तकिए के कवर को नियमित धोएं, सफाई करते समय मुंह कपड़े से बांध कर रखें, झाड़ू की बजाय गीले कपड़े से सफाई करें!
जांच- कुछ विशेष पदार्थों के प्रति शरीर की अति संवेदनशीलता की जानकारी के लिए प्रिक या ब्लड एलर्जी टेस्ट कराया जाता हैं।
होम्योपैथिक उपचार – वैसे तो होम्योपैथी मैं चिकित्सक द्वारा मरीजों के लक्षणों के आधार पर ईलाज किया जाता हैं किसी बीमारी की कोई फिक्स दवा नहीं होती है इसलिए दवा रजिस्टर्ड चिकित्सक के परामर्श से लेवे। मुख्यत आर्सेनिक एल्बम, पल्सेटीला, ट्यूबरकुलिनम, सिफिलिनम, काली बाईक्रोमेटम, सेनगुनेरिया नाईट्रीकम, नेट्रम म्युर, सल्फर, सबाडिला, लेमना माइनर आदि दवाओं का प्रयोग किया जाता हैं।
डॉ हरीश यादव
राजकीय होम्योपैथिक चिकित्साधिकारी जहाजपुर