जयपुर। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने आज करौली जिले के मंडरायल एवं करणपुर क्षेत्र के करई, बबूल खेड़ा, बंधवारा, झूकरी, मल्हापुरा, फतेहपुरा, दर्रा, नींदरपुरा एवं गोटा सहित अन्य बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों का हवाई सर्वेक्षण किया। उन्होंने अतिवृष्टि से प्रभावित गांवों और कोटा बैराज एवं अन्य बांधों से छोड़ गए पानी से प्रभावित गांवों का जायजा लिया। गहलोत ने जनप्रतिनिधियों एवं अधिकारियों से बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में राहत एवं बचाव कार्यों के संबंध में जानकारी लेते हुए प्रभावितों को हरसंभव सहायता उपलब्ध करवाने के निर्देश दिए। इस दौरान कैबिनेट मंत्री रमेश मीणा और गोविंद राम मेघवाल भी सीएम के साथ रहे।
मुख्यमंत्री ने मंडरायल पहुंचकर संबंधित अधिकारियों को निर्देशित किया कि बाढ़ प्रभावितों के लिए बनाए गए अस्थाई आवास, भोजन, पेयजल, चिकित्सा, विद्युत, सफाई आदि का विशेष ध्यान रखा जाए। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक आपदा के कारण आमजन को घर, मवेशी, कृषि सहित अन्य प्रकार का जो भी नुकसान हुआ है, उसका सर्वे करवाकर त्वरित सहायता प्रदान की जाएगी।गहलोत ने बाढ़ से प्रभावित लोगों से मुलाकात की।
मुख्यमंत्री ने बताया कि प्रदेश के सीमावर्ती जिलों का विशेष रूप से ध्यान रखकर विकास किया जा रहा हैं। उन्होने बताया कि प्रदेश के प्रत्येक उपखंड क्षेत्र में रीको द्वारा औद्योगिक क्षेत्र बनाये जा रहे हैं, जिससे उद्योगों को बढ़ावा मिलेगा। रोजगार के नए अवसर मिलेंगे। उन्होने लोगों से कहा कि जनकल्याणकारी योजनाओं के बारे में जागरूक रहकर लाभ उठायें और अन्य लोगों को भी जागरूक करें।
भांकरी व बूकनां में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र खोलने की घोषणा
गहलोत ने जनसभा को संबोधित करते हुए भांकरी व बूकनां में प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र खोलने की घोषणा भी की। उन्होंने कहा कि महुआ-हिण्डौन-करौली-मंडरायल के चंबल पुल तक नेशनल हाईवे बनाने के लिए केंद्र सरकार से आग्रह किया जाएगा।
ईआरसीपी से कम हो सकता है बाढ़ का खतरा
मुख्यमंत्री ने कहा कि पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ईआरसीपी) से क्षेत्र में बाढ़ का खतरा कम हो जाएगा। इस परियोजना से 13 जिलों को पेयजल और सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी मिलेगा। केन्द्र सरकार द्वारा ईआरसीपी को राष्ट्रीय परियोजना घोषित किया जाना चाहिए।