जयपुर/योगेश शर्मा जर्नलिस्ट। एक राजनीतिक घटनाक्रम ऐसा हुआ कि ना सिर्फ राजस्थान की राजनीति,बल्कि कांग्रेस की राष्ट्रीय स्तर की राजनीति भी पलट गई और जहां कांग्रेस की राजनीति के अशोक गहलोत सिरमोर बनने वाले थे, उसी जगह जाकर उन्हें माफी मांगनी पड़ी।यह इस राजनीतिक घटनाक्रम का एकमात्र पहलू नहीं है,
बल्कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत जब सोनिया गांधी से मिलने गए और उनके हाथ में जो एक पन्ना था, और कैमरे की नजर में आए उसमें लिखे गए पॉइंट देखने के बाद राजनीतिक चर्चा यह है कि जब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत माफी मांगने का मन बना कर गए थे, तो फिर ऐसा क्या कारण था कि इस माहौल के बावजूद भी वे नकारात्मक बातों को अपने साथ लेकर सोनिया गांधी से मिलने गए।
हालांकि जो पन्ना अशोक गहलोत के हाथ में नजर आ रहा था, वह वायरल हुआ और भले ही सब कुछ उसमें स्पष्ट नजर नहीं आ रहा हो, लेकिन कुछ बातें जिनका जिक्र खुद अशोक गहलोत कई बार अपने भाषणों में कर चुके हैं दिख रहे थे। यही कारण है कि नकारात्मकता का असर कहीं ना कहीं जाकर राजनीतिक परिस्थितियों पर भी पड़ा और अब मुख्यमंत्री की कुर्सी बचाने के लिए भी अशोक गहलोत को देखो और इंतजार करो की नीति पर चलना पड़ रहा है।
दरअसल मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सोनिया गांधी से मिलने जाते वक्त अपने साथ एक पन्ना लेकर गए थे। इस पन्ने की तस्वीर खींची गई और वह वायरल हो गई। फोटो से पता चलता है कि उसमें सबसे पहली लाइन में अशोक गहलोत राजस्थान में 25 सितंबर को हुए घटनाक्रम को लेकर माफी की बात लिखते हैं,
लेकिन इस लाइन के बाद में जितने भी संकेत उस पन्ने से मिल रहे हैं, उसमें नकारात्मकता झलक रही है। माफी के बाद में जहां विधायकों की संख्या किसके पक्ष में हैं, यह लिखा गया है। उसके बाद सचिन पायलट के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए गए हैं।
इस कागज के आधार पर सचिन पायलट पर ही आरोपों की बात नहीं होती बल्कि पायलट पर आरोपों के जरिए प्रभारी अजय माकन को भी निशाने पर ले जाने का प्रयास हुआ है। हालांकि इस प्रयास को सफलता नहीं मिली यह अलग बात है।
अशोक गहलोत ने हाथ से लिखे हुए कागज में जो बातें समझ में आ रही है,उसमें माफी के अलावा लिखा कि सचिन पायलट पार्टी छोड़ देगा, ऑब्जवर्स,पार्टी के लिए अच्छा होता और 102 वर्सेज 18।
इसका मतलब लगाया जा रहा है कि अशोक गहलोत जहां खुद के पक्ष में अभी भी 102 विधायक बता रहे हैं वहीं सचिन पायलट के पास 18 विधायकों का समर्थन ही बता रहे हैं। लिखावट की शुरुआत जहां से हुई है वहां सबसे पहले लिखा है कि जो हुआ बहुत दुखद है, मैं भी बहुत दुखी और आहत हूं।
इसके बाद लिखा था- राजनीति में हवा बदलते देख साथ। RG 1 घंटे – SP / CP (PM)। इसके नीचे लिखा है 102 वर्सेज एसपी प्लस 18।
इसी के साथ कागज में लिखा है कि पहला प्रदेशाध्यक्ष, जिसने पद पर रहते बगावत की। हमारे पास 102 विधायक हैं, जबकि पायलट के पास केवल 18। वहीं बीजेपी ने विधायकों को 10 से 50 करोड़ ऑफर किए।
यह सब वही बातें हैं जो अक्सर अशोक गहलोत अपने बयानों और भाषणों में लगातार बोलते हैं। लिखे हुए में नई बात भी जोड़ी गई है और लिखा है कि गुंडागर्दी की। विधायकों में भय का माहौल बनाया गया। आरोपों में पुष्कर की घटना और शकुंतला रावत का भी जिक्र किया गया है। वही कागज के एक हिस्से में जो नजर आ रहा है उसमें लिखा है डोटासराजी ने बताया और मानेसर लिखा हुआ है।
उल्लेखनीय है कि डराने की बात का जिक्र पिछले दिनों पुष्कर में कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला के श्रद्धांजलि कार्यक्रम के दौरान मंत्री अशोक चांदना के भाषण के दौरान जूते उछाले थे और मंत्री शकुंतला रावत के भाषण के दौरान भी हल्ला हुआ था।
इस कागज में लिखी हुई बातों को देखने के बाद में कांग्रेस नेता ही कह रहे हैं कि जब माहौल खुद के खिलाफ नकारात्मक हो और स्थिति माफी मांगने तक पहुंच रही हो, तब किसी सामने वाले के खिलाफ आप आरोप लगाते हैं, तो भी वह आपकी नकारात्मकता में जुड़ते हैं।
कांग्रेस नेता यह भी कहते हैं कि अशोक गहलोत हर काम अपने फायदे को लेकर करते हैं तो फिर आखिरकार उनसे पिछले 5 दिनों के दौरान बार-बार ऐसी चूक कैसे होती रही।
वैसे इस पूरे प्रकरण में राजस्थान के प्रभारी महासचिव अजय माकन का जिक्र नहीं किया जाए तो यह सही नहीं होगा, क्योंकि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत जिन बातों का जिक्र अपने कागज के जरिए करते दिख रहे हैं, यह सब घटनाएं उस समय की है, जबकि राजस्थान से अविनाश पांडे की विदाई हो चुकी थी और अजय माकन को जिम्मेदारी दी गई थी। ऐसे में इन बातों के जरिए कहीं ना कहीं अजय माकन भी निशाने पर थे, कि जब यह सब कुछ हुआ तब अजय माकन मूकदर्शक बने रहे।
जबकि हकीकत इसके बिल्कुल विपरीत नजर आती है, क्योंकि प्रभारी महासचिव के रूप में अजय माकन ने ऐसी कोई भी घटना नहीं रही, जिसका जिक्र कांग्रेस आलाकमान से नहीं किया। यही कारण रहा कि अजय माकन शांत रहकर अपना काम करते रहे और एक खेमा लगातार उनके खिलाफ काम करता रहा।
उनके काम करने का तरीका ही रहा कि जब समानांतर विधायक दल की बैठक बुलाए जाने को लेकर उन्होंने जयपुर में ही कह दिया था कि यह अनुशासनहीनता है और देखते हैं क्या कार्यवाही हो सकती है। उसी दिन स्पष्ट हो गया था कि अजय माकन आलाकमान को सिर्फ 25 सितंबर के घटनाक्रम के बारे में नहीं,बल्कि जबसे प्रभारी के रूप में राजस्थान में काम कर रहे हैं, तब से घट रही हर घटना को लेकर अवगत कराते रहें हैं और यही कारण है कि आलाकमान का उन पर विश्वास बना रहा।
अब देखना यह है कि राजस्थान में विधायक दल की बैठक कब होती है और जिस फैसले का कांग्रेस में जयपुर से लेकर दिल्ली तक सभी को इंतजार है वह फैसला कब सामने निकल कर आता है।