कर्म के अनुरूप फल सभी को मिलता है इसमें इंसान और भगवान में कोई भेद नहीं होता-मुनि पुंगव सुधा सागर महाराज

liyaquat Ali
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सारे विश्व में एक साथ महाआरती के अद्भुत एवं अलौकिक नज़ारे ने आयोजन की स्वर्णिम पहचान दे दी

 

 

 

देवली। परम पूज्य संत शिरोमणि आचार्य विद्यासागर महाराज की संयम स्वर्ण जयंती महोत्सव पर मंगलवार रात्रि को श्री महावीर दिगंबर मंदिर देवली में आचार्य श्री के परम प्रभावक शिष्य मुनि पुंगव सुधासागर महाराज ससंघ के सानिध्य में हीरक जयंती का आगाज महाआरती से हुआ। सारे विश्व में एक साथ महाआरती के अद्भुत एवं अलौकिक नज़ारे ने आयोजन की स्वर्णिम पहचान दे दी।

महाआरती में हर परिवार से महिला ,पुरुष ,बच्चे शामिल हुए। बुधवार प्रातः शहर के पटेल नगर श्री पारसनाथ दिगंबर जैन मंदिर में अभिषेक, शांतिधारा के बाद आयोजित धर्म सभा में मुनि पुंगव सुधा सागर महाराज ने कहा कि कर्म के अनुरूप फल सभी को मिलता है इसमें इंसान और भगवान में कोई भेद नहीं होता ।संसार में सबसे बड़ा बली है तो, वह कर्म बली ।जिसने जैसा पुण्य और पाप कर्म किया उसी के अनुरूप जीवन में उसे भुगतना पड़ता है ।

मुनि सुधा सागर महाराज ससंघ में साथ मुनि महासागर महाराज, निष्कंप सागर महाराज ,क्षुल्लक धैर्य सागर महाराज,क्षुल्लक गंभीर सागर महाराज के सानिध्य में मंगलवार को संत शिरोमणि आचार्य विद्यासागर महाराज के संयम स्वर्ण महोत्सव के पूरे होने पर हीरक जयंती की शुरुआत आचार्य जी की महाआरती से की। इस अवसर पर देवली में प्रत्येक परिवार के सदस्य ने घी के दीपक को सजाकर विश्व में एक साथ मंगलवार रात्रि को महाआरती मुनि ससंघ के सानिध्य में भक्ति में भावविभोर होकर नाचते-गाते आनंदपूर्वक संगीतमय रूप से की।

 

बुधवार सुबह की बेला में मुनि पुंगव सुधा सागर महाराज ससंघ शहर के पटेल नगर स्थित श्री पारसनाथ दिगंबर जैन मंदिर गाजे बजे से पहुंचे ।यहां पर मुनि ससंघ के सानिध्य में लगी बोली के बाद शांतिधारा शांति प्रकाश डॉ राजेश जैन परिवार, लाभचंद आशीष अजमेरा परिवार ,नेमीचंद धर्मचंद जैन परिवार, मोतीलाल पालीवाल परिवार ,चांदमल शाह परिवार एवं भीमराज जैन परिवार ने की ।

वही दीप प्रज्वलन नेमीचंद जैन परिवार तथा आचार्य विद्यासागर के चित्र का अनावरण रमेश चंद गंगवाल परिवार ने किया ।इस अवसर पर धर्म सभा में मुनि पुंगव सुधासागर ने कहा कि मन के भावों से कर्म बंध बन जाते हैं ।कर्म किसी को छोड़ते नहीं ,इसमें इंसान हो या भगवान ।करनी का फल किसी भी भव में मिलता जरूर है। उन्होंने कहा कि संगति हमेशा बड़ों की करें, अपने से अधिक सामर्थ्यवान से कभी बिगाड़ भी नहीं रखें। मुनि श्री ने कहा कि परमार्थ कार्य करने वाला जिंदगी में दुख विचलित नहीं करता ।यही भारतीय संस्कृति भी कहती है कि परमात्मा को कभी नहीं भूले ।सब जगह बीमारी मिल सकती है ,लेकिन मंदिर ऐसा स्थान है जहां बीमारी नहीं बल्कि नई ऊर्जा ,शक्ति मिलती है ।

मंदिर में गंधोदक पानी नहीं यह भी उसी शक्ति के स्पर्श से शिरोधार्य बन जाता है ।इसलिए संसार में भगवान से संबंध बनाकर चलना चाहिए ।उन्होंने कहा संतों की संगति से साधु बने या ना बने, लेकिन इंसान संतोषी जरूर बन जाता है। मंदिर, तीर्थ क्षेत्र एवं चातुर्मास को वसीयत समझ कर चलना चाहिए ।

इनका अंश जीवन को संवार देता है ।इस दौरान सुदर्शनोदय क्षेत्र आंवा में लगभग तय मुनि ससंघ के चातुर्मास के प्रथम कलश 101 -101 के दो कलश क्रमशः मोतीलाल कमलेश कुमार संजय कुमार अरुण पापड़ीवाल परिवार, नेमीचंद धर्म चंद जैन सपरिवार ने लेने का सौभाग्य प्राप्त किया ।

इस दौरान महावीर मंदिर ट्रस्ट अध्यक्ष महावीर जैन ,अग्रवाल जैन समाज अध्यक्ष बंशीलाल जैन, पटेल नगर मंदिर अध्यक्ष चांदमल जैन ,मोतीलाल ,बाबूलाल जैन ,कुंदन मल जैन बीजवाड़ सरपंच पदम जैन,पारस मोंटी समेत सैकड़ो गणमान्य समाज बंधु मौजूद थे। इस दौरान दूनी से आए जैन समाज के लोगों ने मुनि सुधा सागर महाराज को आगमन के लिए श्रीफल भेंट किया।मंदिर में जिज्ञासा समाधान भी हुआ

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