104 वर्ष बाद बना है यह संयोग
टोंक । आषाढ़ शुक्ला पूर्णिमा शुक्रवार 27 जुलाई को रात्रि11.54 बजे से शुरू होने वाला खडग्रास चन्द्र ग्रहण सदी का सबसे लंबा चन्द्रग्रहण होगा। जिसका मोक्षकाल 28 जुलाई को सूर्य उदय पूर्व3.49 बजे होगा। ग्रहण का प्रारंभ रात्रि 1 बजे समाप्त रात्रि 2.44 बजे होगा। खगोल विद्वों के अनुसार यह योग 104 वर्ष के बाद बन रहा है। अधिकतर चन्द्रग्रहण 1 या डेढ़ घंटे का होता है।
किन्तु इसकी अवधि 3 घंटा 55 मिनिट की होगी। इससे पूर्व 16जुलाई 2000 में भी ऐसा ही ग्रहण लगा था। यह ग्रहण सम्पूर्ण भारत के साथ-साथ एशिया, आस्ट्रेलिया, अफ्रीका, यूरोपीय देशों, उत्तरी दक्षिणी, अमेरिका, हिन्द महासागर, अटलान्टिक, महासागर में दिखाई देगा।
ग्रहण का सूतक तीन प्रहर अर्थात नो धण्टे पूर्व दोपहर 2.54 बजे से प्रारम्भ होगा । भद्रा दिन में 12.33 बजे तक पाताल लोक की है जो शुभ है। इस दिन गुरू पूर्णिमा का उत्सव कथा, गूरू पूजन आदि सूतक से पूर्व ही कर लेना चाहिये। निर्णय दिपिका में लिखा है कि कम से कम एक प्रहर अर्थात तीन धण्टा तक तो सभी सूतक यम नियमादि का पालन करना चाहिए।
मनु ज्योतिष एवं वास्तु शोध संस्थान के निदेशक बाबूलाल शास्त्री ने बताया कि 27 जुलाई की रात्रि 11.54 बजे शुरू होने वाले खडग्रास चन्द्रग्रहण के समय चन्द्रमा उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में स्वामी सूर्य अद्र्वरात्रि 12.33 बजे तक विचरण करेगा। उसके बाद अभिजीत एवं श्रवण नक्षत्र में स्वामी चन्द्रमा मकर राशि, स्वामी शनि में विचरण करेगा। उस अवधि में चन्द्रमा केतु मंगल के साथ मकर राशि में विचरण करेगा। जिन पर सूर्य बुध राहू की सप्तम दृष्टि पड़ रही हैं एवं गुरू के केन्द्रीय प्रभाव में है। जिनके योग से जलीय जीवों राजनीतिज्ञों निम्र वर्ग कर्मचारियों औषधी निर्माताओं को मध्यम है।
धान्यादि के साथ-साथ चांदी, मोती, चावल, चीनी, सफेद वस्त्रों में तेजी रहेगी।
ग्रहण का फल उत्तराषाढ़ा, श्रवण, नक्षत्र एवं मकर राशि वालों को अशुभ है। मेष, सिंह, वृश्चिक मीन राशि वालों को शुभाशुभ फल मिलेगें । वृष, कर्क, कन्या, धनु राशि वालों को मध्यम फल मिलेगें । मिथुन, तुला, मकर, कुंभ राशि वालों को न्यूनतम फल मिलेगें। सूतक काल में गर्भवती महिलाओं को ग्रहण के दौरान घर में ही रहना चाहिए। जिससे ग्रहण की छाया गर्भ पर नही पड़े।
बाबूलाल शास्त्री ने बताया कि ग्रहण प्रारम्भ से पूर्व वस्त्रों सहित स्नान करना मध्य में हवन पूजा पाठ करना, ग्रहण वेध समय में अन्न, वस्त्र, धन, स्वर्ण का दान करने का फल, सर्वभूमि दान के समान हजार गुना माना गया है ।
सूतक अवधि में बच्चों एवं वृद्व रोगियों को छोडक़र ,अन्यों को भोजनादि, शयन शुभ कार्य आदि नहीं करने चाहिए । सूतक पश्चात सफेद व लाल वस्तुऐं हरा चारा दान आदि करना चाहिए जिससे अशुभ फलों में कमी, शान्ति व कष्ट निवारण हो ।
बाबूलाल शास्त्री,निदेशक , मनु ज्योतिष एवं वास्तु शोध संस्थान