नई दिल्ली/ सुप्रीम कोर्ट ने नफरत फैलाने वाले भाषणों को लेकर सभी राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों को तत्काल प्रभाव से कार्यवाही करने के निर्देश देते हुए कहा कि राज्य सरकारें और केंद्र शासित प्रदेश ऐसे भाषण पर बिना शिकायत के ही तत्काल एफ आई आर दर्ज करें और अगर मामला दर्ज करने में देरी होती है तो संबंधित राज्य की सरकारें कोर्ट की अवमानना अर्थात कोल्ड ऑफ कंटेंम्प्ट माना जाएगा ।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हेट स्पीच अर्थात नफरत फैलाने वाले भाषण एक गंभीर अपराध है जो देश के धर्मनिरपेक्ष ताने-बाने को प्रभावित कर सकता है जस्टिस केएम जोसेफ और बीवी नाग रत्ना की बेंच ने मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि हम धर्म के नाम पर कहां पहुंच गए हैं ।
यह बड़ी चिंतनी और दुखद बात है न्यायधीश के राजनीतिक है और उन्हें पार्टी और पार्टी भी से कोई मतलब नहीं है और उनके दिमाग में केवल भारत का संविधान है सुप्रीम कोर्ट देश के विभिन्न क्षेत्रों में दाखिल हेडस्पेस से जुड़ी याचिकाओं पर आज सुनवाई कर रही थी और सुनवाई के दौरान बेंच ने सभी राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों को तत्काल नफरत फैलाने वाले भाषणों पर बिना किसी शिकायत के ही एफ आई आर दर्ज करने के निर्देश दिए हैं और अगर ऐसा नहीं होता तो इसे अदालत की अवमानना माना जाएगा ।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने 2022 के आदेश को बढ़ाते हुए राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों कोई निर्देश दिए हैं इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने केवल यूपी उत्तराखंड और दिल्ली सरकार को यह आदेश दिया था।