एक ही युवक से 2 सगी बहनों से की शादी 

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उर्दू की शिक्षा तथा पारिवारिक संस्कारों ने बदला मेरा मन,अपने फर्ज को अदा करते हुए एक ही युवक से की शादी से 2 सगी बहनों से की शादी 

टोंक/उनियारा(मदन लाल सैनी/अशोक कुमार सैनी) ।टोंक जिले में एक शख्स द्वारा दो सगी बहनों से शादी करने का मामला सामने आया तो चारों तरफ चर्चाओं तथा तारिफों का माहौल बन गया। टोंक जिले के उनियारा की मोरझाला की झोपड़ियां गांव में हुई इस शादी की चर्चा अब भी इस कदर छाई हुई है कि थमने का भी नाम नही ले रही हैं और हर तरफ हो रही है तो बस तारीफ।

टोंक जिले में हुई यह शादी किसी फिल्मी कहानी से रियल लाइफ में पूरी होती हुई सी भी नजर ही आ रही है।

उनियारा के हरिओम मीणा नामक पढ़े लिखे युवक का विवाह दो बहनों के साथ कुछ इस तरह से हुआ कि वह सब जगह चर्चा का विषय बन गया है।खास बात यह कि इस विवाह के बाकायदा कार्ड छपे और बांटे भी गए । हरिओम का पूरा परिवार, दोस्त और समाज के लोग इस अनूठे विवाह में शामिल भी हुए।

युवक हरिओम का रिश्ता तय हुआ निवाई उपखंड के सीदड़ा गांव में बाबू लाल मीणा की बड़ी बेटी कांता से। कांता ने उनके सामने अपने दिल की बात रखते हुए कहा कि वह अपनी अशिक्षित छोटी व मंद बुद्धि बहन सुमन से बेहद स्नेह रखती हैं साथ ही वह उसी युवक से शादी करेगी जो दोनों बहनों से एक साथ विवाह रचाएगा।

हरिओम तथा उसके परिवार वाले यह शर्त सुनकर हैरान रह गए। लेकिन जब कांता ने कहा कि छोटी बहन सुमन की देखभाल ज़िंदगी भर करना चाहती है तो उन्हें दोनों बहनों के अटूट स्नेह का अहसास हो गया तथा हरिओम ने इसके लिये हां कह दी।

बांटे गए थे शादी के कार्ड- सभी हुए शामिल-

हाल ही 5 मई को संपन्न हुए इस अनूठे विवाह को हरिओम के परिवार ने पूरे धूमधाम से किया और बाकायदा कार्ड छपवाकर बंटवाए गए।वधू के रूप में दोनों बहनों ने विवाह मंडप में हरिओम के साथ अग्नि को साक्षी मान एक साथ सप्तपदी पूरी की।हरिओम की पत्नी बनी दोनों बहनों का ससुराल में आने पर पूरी परंपराओं के साथ गृह प्रवेश व अन्य रस्में पूरी की गई।

बड़ी बहन कांता की जुबानी जंग ए कहानी-

‌बडी बहन कांता ने बताया कि वह उर्दू से बीएड है तथा एमए चल रही हैं।मेरी छोटी बहन सुमन अशिक्षित तथा मानसिक स्थिति से सही नही है।इसलिए उससे कोई भी शादी नही करता तथा भविष्य में उसके जीवन पर संकट छा जाता।मैने उसको बडे लाड प्यार से पाला है।

मेरे सामने नौकरी वाले रिश्ते भी आएं थे।लेकिन उर्दू की शिक्षा तथा पारिवारिक संस्कारों ने मेरा मन बदल दिया और सभी बडे रिश्तो को टुकाराते हुए एक ही लडके से शादी करने का फैसला कर लिया।वही हमारे प्यार के चलते हुए भगवान ने भी मेरी सुन ली।मेरे ऊपर कोई पारिवारिक दबाव भी नहीं था।

अपनी इच्छा से फैसला करते हुए एक ही दुल्हे के साथ रिति रिवाज से शादी कर ली।मैं खुश हूं और जीवन के हर पल पर पहली प्राथमिकता मेरी बहन ही है।हर पल उसको खुशी देना ही मेरा उद्धेश्य है।

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