टोंक। धर्मोत्थान सेवा समिति टोंक के तत्वावधान में दस दिवसीय 28 वें गणेश महोत्सव का शुभारंभ प्रारम्भ मंदिर मालियान काफला बाजार टोंक में विधिवत पूजा-अर्चना के साथ मंगलवार को किया गया। समिति के संचालक एड. कैलाश शर्मा व विवेक सैन ने बताया कि समिति द्वारा हस्तनिर्मित नौ फीट ऊंची गणेश प्रतिमा सहित टोंक शहर के 35 विभिन्न मंदिरों में स्थापित होने वाली सभी प्रतिमाओं का विधिवत पूजन किया गया।
काफला बाजार स्थित मालियान मंदिर में पूजा-अर्चना करने के पश्चात लोगों ने एक साथ भगवान गणपति की सामूहिक आरती उतारी। समिति संचालक एड. कैलाश शर्मा ने सम्पूर्ण कार्यक्रमों में सक्रिय भागीदारी निभाने एवं सहयोग देने के लिये सभी से आग्रह किया गया।
इसकेे बाद टोंक शहर के रिद्धि-सिद्धि गजानन्द समिति शंकरपुरा चौराहा जिंसी, विनायक मित्र मंडल सेवा समिति सोलंगपुरा, विनायक भक्त मंडली बाबा रामदेव जी मंदिर छावनी, बाल समिति अस्तल रोड़ छावनी, शिव मित्र मंडली पीपली वाला कुंआ, जय बजरंग सेवा समिति काली पलटन वाल्मिकी समाज, विनायक मित्र मंडल महावर समाज हीरा चौक पुरानी टोंक, विनायक समिति कृषि मंडी,
शिव हनुमान मित्र मंडल खोजा बावड़ी, विनायक मित्र मंडल ग्वाला समाज पांच बत्ती, संतोषी माता मंदिर सबीलशाह की चौकी, राधा-कृष्ण मंदिर मोदी की चौकी, विनायक मित्र मंडल कोली समाज नोशे मियां का पुल, शिव मित्र मंडल हीरा चौक पुरानी टोंक, सती माता युवा समिति चिडिय़ों की बाड़ी, गणपति नवयुवक मंडल सेवा समिति सोलंगपुरा चौराहा,
लक्ष्मीनारायण मंदिर सेवा समिति मालीयान मंदिर पंचकुईयां दरवाजा, मित्तल सेवा समिति संघपुरा पुरानी टोंक एवं शिव हनुमान सेवा समिति बीखापुरा आदि 35 मंदिरों के प्रतिनिधियों को भगवान गणेश की प्रतिमाएं वितरित की गई, जिन्हे गाजे-बाजे के साथ अपने-अपने मंदिरों पर ले जाकर स्थापित किया।
समिति संचालक कैलाश शर्मा ने बताया कि गणेश महोत्सव के अन्तर्गत गणेश प्रतिभाओं के विराजित मन्दिरों पर एक-एक बार रात्रि को गणेश भजन संध्या का आयोजन होगा। 27 सितम्बर को मुख्य बाजार काफला में प्रात: हस्तनिर्मित प्रतिमा की मंच स्थापना एवं महाआरती व रात्रि 8 बजे विख्यात कलाकारों द्वारा भव्य भजन संध्या का आयोजन किया जाएगा।
28 सितम्बर अनंत चतुर्दशी को गणपति बप्पा मोरिया की भव्य शोभायात्रा एवं प्रतिमा विसर्जन का कार्यक्रम दोपहर 3 बजे यज्ञ के बालाजी से प्रारंभ होकर मुख्य बाजार होती हुई चतुर्भुज तालब पहुंचेगी, जहां प्रतिमाओं का जल में विसर्जित किया जाएगा।