भीलवाड़ा। भीलवाड़ा जिले में खनिज क्षेत्र से होने वाली आय के लिए बने हुए विभाग डीएमएफटी के हालात यह है कि यहां कार्यरत संविदा (अनुबंध) पर कार्मिकों का अनुबंध समय सीमा समाप्त हो जाने के बाद भी वह कार्मिक काम ही नहीं कर रहे हैं बल्कि महत्वपूर्ण फाइलों पर हस्ताक्षर तक कर रहे हैं।।
डिस्टिक मिनिरल फंड ट्रस्ट (डीएमएफटी) इसमें भीलवाड़ा जिले की खदान ऑन से मिलने वाली राजस्व आय का एक हिस्सा होता है जो प्रदेश के ऐसे खनन बाहुल्य क्षेत्र में सरकार और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों से बनाया गया है ।
यह किस फंड से जिले में चिकित्सा और शिक्षा तथा खनन बाहुल्य क्षेत्र में मूलभूत सुविधाओं के विकास पर खर्च किया जाता है इसके अध्यक्ष जिला कलेक्टर होते हैं और कोषाधिकारी तथा जनप्रतिनिधि अधिनियम के सदस्य होते हैं भीलवाड़ा डीएमएफटी में विपिन सरकारी कार्यालय से सेवानिवृत्ति हुए।
कार्मिकों को अनुबंध पर निर्धारित वेतन के आधार पर रखा जाकर कार्य किया जा रहा है यहां पर सभी निर्माण से संबंधित करोड़ों रुपए की फाइलें आती है और इसका बजट लगभग 300 करोड़ से अधिक है ।
वर्तमान में भीलवाड़ा डीएमएफटी में दो बाबू और एक चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी जिनका अनुबंध समाप्त हो चुका है। सूत्रो के अनुसार बालमुकुंद सुथार लिपिक के पद पर लगे हुए हैं और सुनील कुमार जैन भी लिपिक के पद पर कार्यरत हैं लेकिन इन दोनों का अनुबंध समाप्त हुए एक माह से अधिक हो गया है।
इसी तरह मदनलाल हरिजन भी चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के पद पर अनुबंध से लगे हुए है इनका भी अनुबंध समाप्त हो चुका है लेकिन आश्चर्य की बात है की बालमुकुंद सुथार और सुनील कुमार जैन अनुबंध समाप्त होने के बाद भी यह कार्मिक बिना अनुबंध बढाए ही कार्य कर रहे हैं।
यही नहीं सबसे बड़ी चौंकाने वाली बात तो यह है कि दोनों लिपिक करोड रुपए की निर्माण कार्यों की फाइलों पर अनुबंध समाप्त होने के बाद भी और स्थाई कार्मिक नहीं होते हुए भी इन फाइलों पर अभी तक हस्ताक्षर कर रहे हैं ।।
इनकी जुबानी
सरकार के आदेश अनुसार 65 साल तक की आयु वाले सरकारी कार्मिक को सरकारी सेवा निवृत्ति के बाद कार्य पर रख सकते हैं और यह संविदा अनुबंध 1 साल का होता है जिसे बाद में बढ़ाया जाता है आचार संहिता के कारण इनका बढ़ाया नहीं गया था जिला कलेक्टर के पास उनकी फाइल पड़ी है ।
जिनेश हुमड
एम ई खनिज विभाग भीलवाड़ा