जयपुर । राजस्थान में सरकार बदलने और भाजपा के सत्ता में आने के बाद इसी माह 12 दिन के लिए तबादलों से हटाई गई रोक के बाद हुए ताबड़तोड़ तबादलो को लेकर सरकार के मंत्रियों भाजपा के सांसदों और नेताओं में जबरदस्त आक्रोश बना हुआ है और यह अंसतोष का लावा आगामी लोकसभा चुनाव में भाजपा के लिए भारी पड़ सकता है ।
राजस्थान में भाजपा सरकार ने सत्ता में आने के बाद इसी मा 10 फरवरी को तबादलों से रोक हटाते हुए 22 फरवरी तक तबादले करने के आदेश जारी किए थे।
पिछली कांग्रेस सरकार ने चुनाव के काफी लंबे समय से पहले से ही चुनाव तबादलों पर रोक लगा रखी थी इससे अधिकारी और कर्मचारी काफी परेशान थे सबको उम्मीद भी थी कि नहीं सरकार आई तो तब वालों से रोक हटेगी और हुआ।
वही भाजपा सरकार ने तबादलो से रोक हटाई तो सभी अधिकारियों और कर्मचारियों में खुशी की लहर दौड़ गई उनके साथ-साथ और तबादलों पर से रोक हटते ही शिक्षा विभाग को छोड़कर सभी विभाग में जमकर ताबड़तोड़ तबादले हुए लेकिन इन तबादलो से अधिकारियों और कार्मिकों तथा विधायक और मंत्रियो को खुशी की जगह मायूसी मिली ।
सूत्रों के अनुसार राजस्थान सरकार में कैबिनेट मंत्री स्तर के मंत्री वरिष्ठ विधायक सांसद और भाजपा के वरिष्ठ नेता यहां तक की केंद्र सरकार में भी बहुत बड़ा स्थान रखने वाले भाजपा के नेताओं तक की इच्छा के अनुसार तबादले नहीं किए गए।
यहां तक के उनकी बात भी नहीं मानी गई और उनके मनपसंद के अधिकारियों और कर्मचारियों को लगाना तो दूर जो अधिकारियों कर्मचारियों लगे हुए थे उनकी पसंद के उन तक को वहां से हटा दिया गया कहीं-कहीं जगह तो विपक्षी दल कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं के रिश्तेदारों को अच्छी जगह पर नियुक्तियां दे दी गई ।
इन तबादला सूचियों के बाद अभी तक सत्ता पक्ष भाजपा के मंत्री विधायक सांसद और वरिष्ठ नेता सचिवालय और भाजपा कार्यालय के चक्कर लगा रहे हैं और अपनी ही सरकार को कोस रहे हैं इन तबादला इन को लेकर इन मंत्रियों विधायकों सांसदों और भाजपा के वरिष्ठ नेताओं में जबरदस्त असंतोष पैदा हो गया है और यह असंतोष का लावा भाजपा के लिए कुछ दिनों में होने वाले लोकसभा चुनाव में मुसीबत का कारण बन सकता है ।
राजनीतिक गलियारे में तो यह भी चर्चा है कि जब सत्ता पक्ष के वरिष्ठ मंत्रियों विधायकों सांसदों और संगठन के वरिष्ठ नेताओं पसंद और सिफारिश को दरकिनार करते हुए आखिर तबादलों की सूचिया किसने जारी की ?
सरकार के विधायक दबी जुबान में यह भी चर्चा कर रहे हैं कि कई विभागों की स्थिति तो यह है कि जो पहली बार विधायक मंत्री बने हैं उन विभागों के अधिकारी मंत्री पर ही भारी पड़ रहे हैं मंत्री का आदेश की पालना नहीं की जा रही है और तबादलों में भी उन मंत्रियों तक से नहीं पूछा गया?