टोंक / सुरेन्द्र शर्मा । टोंक एक ओर जहां राजस्थान में मुख्यमंत्री राजस्व बढ़ाने व विकास कार्यों के लिए अग्रसर है। वहीं दुसरी ओर राजस्थान में टोंक जिले में उनियारा वनविभाग के अधिकारियों की भषटाचार में लिप्तता के चलते सरकार को 50 करोड़ से ज्यादा का राजस्व चूना लगाया जा चुका है ।
वही वन अधिनियम की धारा 41,42,379 आईपीसी में जप्त बजरी के वाहनों के खिलाफ कॉन्फ्रेंस की कार्रवाई नहीं खोलने के चलते इन वाहनों से जुर्माना वसूल नहीं किये जाने से एक और वनविभाग के अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध नज़र आ रही है वहीं सरकार को भी करोड़ों की राजस्व हानि उठानी पड़ रही है।

क्या है मामला?
उनियारा वन विभाग रेंज के बनेठा में पुलिस द्वारा अवैध बजरी में लिप्त वाहनों को पहले तो पुलिस 4/21 खनिज अधिनियम की धारा में मामला दर्ज करती है बाद में उक्त बजरी वनविभाग क्षैत्र से भरना बताकर बाद में बजरी वाहनों को वन अधिनियम की धारा 41,42 में जप्त बताकर वनविभाग से रिपोर्ट मंगाई जाती है। जिसमें वनविभाग के जिम्मेदार अधिकारी उक्त प्रकरण में जप्त बजरी वाहनों के प्रकरण में राजस्व वसुली के लिए वनविभाग ना तो कॉन्फ्रेंस की कार्रवाई खोलती है नाही उनसे जुर्माना वसूलती है।
ऐसे में अवैध बजरी में लिप्त उक्त वाहन बगैर जूमाने के ही रिलीज हो जाते हैं। और फिर वही वाहंन टैक्टर या डंपर, कई बार अवैध बजरी में पकड़ा जाता है। और फिर से दुबारा आसानी से बग़ैर जुर्माना के रिलीज हो जाता है। जिसकी जांच होने पर वनविभाग के लिप्त अधिकारियों का पुरा खेल का राज खुल सकता है।
क्या है 41,42 वन अधिनियम की धारा?
वन अधिनियम की धारा 41,42 में वन विभाग को संबंधित धारा में जप्त वाहन प्रकरणों में विभाग द्वारा कॉन्फ्रेंस की कार्यवाही करने व जुर्माना वसूली का प्रावधान होता है।और एक वाहन से 2 लाख तक जुर्माना वसूली का प्रावधान रहता है। यदि वही वाहन दोबारा उपयुक्त नियम के तहत जप्त होता है तो डबल वसूली की जाती है तीसरी बार वाहन पकड़े जाने पर उसे जप्त कर डिस्पोजल करने का प्रावधान रहता है।
थाना बनेठा द्वारा अवैध बजरी में जप्त डंपरो पर नहीं की वनविभाग ने कॉन्फ्रेंस वह जुर्माना वसुली की कार्यवाही?
हाल ही में थाना बनेठा क्षेत्र में अवैध बजरी खनन को लेकर एक बड़ी कार्रवाई की गई थी जिसमें 17 डंपर सहित एक लोडर अवैध बजरी दोहन में पकड़े गए थे। जिसमें तत्कालीन पूर्व पुलिस अधीक्षक टोंक द्वारा आयोजित प्रेस वार्ता में डंपरों के रजिस्ट्रेशन निरस्त करने की प्रक्रिया शुरू करना बताई गई थी । साथ डंपरों पर कार्यवाही 4 /21 एमएम आर डी, खनिज विभाग की धारा में बताई गई थी। बाद में कथित रूप से मिली भगत के चलते उक्त वाहनों को वन अधिनियम की धारा 41,42 में जप्त बताकर कार्रवाई की गई । वहीं वन अधिनियम की धारा 41,42 में जप्त उक्त बजरी के डंपरों के प्रकरण में वन विभाग द्वारा कॉन्फ्रेंस की कार्रवाई नहीं खोलना व जुर्माना वसुली की कार्यवाही नहीं करना भी अधिकारियों के ऊपर सवालिया निशान उटते नजर आ रहे है।