लोकसभा चुनाव – क्या भीलवाड़ा विधायक कोठारी ने पीएम मोदी व शाह को दी चुनौती ?

Dr. CHETAN THATHERA
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भीलवाड़ा / चेतन ठठेरा । लोकसभा चुनाव में भीलवाड़ा लोकसभा सीट पर भाजपा प्रत्याशी को लेकर पेच फंसा हुआ है । भाजपा नेता और विरोधी गुट विचार परिवार के बीच अब यह सीट वर्चस्व की लड़ाई बन गई है और इसी वर्चस्व की लड़ाई के चलते हुए भीलवाड़ा शहर की विधानसभा सीट से भाजपा प्रत्याशी के खिलाफ विचार परिवार से निर्दलीय चुनाव लड़कर विधायक बने व्यवसायी उद्योगपति अशोक कोठारी ने एक बार फिर वर्तमान सांसद को ही टिकट देने पर विचार परिवार के तले निर्दलीय सांसद का चुनाव लड़ने के संकेत देकर सीधे-सीधे तौर पर क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व गृहमंत्री अमित शाह को चुनौती दी है?

लोकसभा चुनाव के पहले चरण में 19 अप्रैल को होने वाले मतदान को लेकर नामांकन की प्रक्रिया समाप्त हो चुकी है और अब दूसरे चरण में भीलवाड़ा सहित 13 लोकसभा सीटों पर 26 अप्रैल को होने वाले मतदान को लेकर नामांकन प्रक्रिया आज से शुरू हो गई है और नामांकन दाखिल करने की अंतिम दिनांक 4 अप्रैल है ।

लेकिन भीलवाड़ा लोकसभा सीट से भाजपा अभी तक प्रत्याशी घोषित नहीं कर पाई है और इस सीट पर प्रत्याशी को लेकर पेच फंसा हुआ है । टिकट की दौड़ में इस सीट से दो बार लगातार सांसद रहकर रिकार्ड मतों से अपने नाम जीत दर्ज करने वाले सांसदों की श्रेणी में शुमार सुभाष बहेड़िया सबसे ऊपर पायदान पर हैं ।

बहेडिया का लंबा राजनीतिक अनुभव और संघ पृष्ठभूमि तथा ईमानदारी और सरल स्वभाव व सहजता उनकी लोकप्रियता का ग्राफ बनाए हुए हैं दूसरे पायदान पर राजस्थान भाजपा संगठन के महामंत्री दामोदर अग्रवाल है तथा इनके बाद कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए प्रसिद्ध उद्योगपति रिजु झुंझुनूवाला के अलावा कालू लाल गुर्जर विट्ठल शंकर अवस्थी भी दावेदारों की पंक्ति में है ।

दूसरी और विधानसभा चुनाव में भाजपा द्वारा लगातार तीन बार से विधायक रहे विट्ठल शंकर अवस्थी को टिकट देने से नाराज होकर संघ पृष्ठभूमि वाले विचार परिवार ने शहर के उद्योगपति और जमीनों के कारोबारी अशोक कोठारी को मैदान में उतारा और जीत दर्ज की थी।

प्रदेश में नई सरकार बनने के साथ ही निर्दलीय विधायक अशोक कोठारी और चुनाव में अशोक कोठारी का साथ देने वाले भाजपा के नेताओ को पार्टी से बगावत करने के कारण पार्टी से निष्कासित कर दिया था। वह लगातार वापस भाजपा में वापसी के लिए प्रयासरत है और इसी के चलते इसी सप्ताह पार्टी द्वारा उन्हें जयपुर आमंत्रित देकर पार्टी में शामिल करने की कवायत हुई थी लेकिन पार्टी के आंतरिक मंथन के बाद वापसी पर ब्रेक लगा दिया गया था ।

विधायक कोठारी और उनके समर्थक को आशंका है कि उन्हें भाजपा में लेने के लिए रोकने मे सांसद सुभाष बाहेड़िया और पूर्व विधायक विट्ठल शंकर अवस्थी की भूमिका है और इसको लेकर विधायक कोठारी और उनके समर्थकों ने इसे अपना अपमान माना और वर्चस्व की लड़ाई मानते हुए लोकसभा चुनाव में निवर्तमान सांसद सुभाष बाहेड़िया को वापस भाजपा द्वारा प्रत्याशी बनाए जाने का विरोध करते हुए ।

बैठक आयोजित कर ऐलान कर दिया कि अगर ऐसा होता है तो विधानसभा चुनाव की जैसी पुनरावृति होगी और विचार परिवार भाजपा प्रत्याशी के विरोध में निर्दलीय प्रत्याशी मैदान में उतरेगा और वह निर्दलीय प्रत्याशी भीलवाड़ा शहर के निर्दलीय विधायक अशोक कोठारी हो सकते हैं ? यह संदेश सोशल मीडिया पर वायरल हुए।

इस घटनाक्रम के बाद शहर की चाय की थडियों पान की केबिनों पर आमजन,बुद्धिजीवी वर्ग और राजनीतिक तथा प्रशासनिक गलियारे में इसकी अच्छी खासी चर्चा शुरू हो गई है की विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव में बहुत फर्क होता है तथा उद्योगपति और भूमि कारोबारी के साथ ही नए-नए बने विधायक अशोक कोठारी ने भाजपा द्वारा सुभाष बहेड़िया को प्रत्याशी बनाए जाने की स्थिति में निर्दलीय चुनाव लड़ने के संकेत देखकर सीधे-सीधे तौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह को चुनौती दी है ?

कोठारी को मोदी और अमित शाह को यह चुनौती कहीं मुसीबत ना बन जाए ? चर्चाओं के इसी दौर में चर्चा है कि नवीन जिंदल जैसे बड़े नामी गिरनामी उद्योगपति खनन कारोबारी जनार्दन रेड्डी तक को मोदी और शाह को चुनौती मुसीबत बन गई और मजबूर होकर समर्पण करना पड़ा । जिंदल और रेड्डी की इसे मजबूरी कहें या उनकी गलती ?

सूत्रों के अनुसार राजनीतिक गलियारे के साथ-साथ शहर और जिले में यह कुसूर-फुसूर भी है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के भीलवाड़ा जिले के पदाधिकारी में एकमत नहीं है और संघ की आड़ में दबाव की राजनीति कुछ चापलूस नेताओं द्वारा जो खेली जा रही है वह सबके समझ में आ गई है ?

यह कितनी सत्य है यह तो वह ही जाने हम तो केवल जो चर्चाएं है उसे उकरे रहे है । परिणाम क्या होगा यह तो राजनीति में कहना और बताना मूर्खता है क्योंकि राजनीति में हर पल हर घड़ी परिस्थितियों और घटनाक्रम बदलते हैं लेकिन अब इतना जरूर है कि भीलवाड़ा लोकसभा की सीट वर्चस्व की लड़ाई की सीट बन गई है और यह वर्चस्व की लड़ाई भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के लिए एक दिन नुकसानदाई हो सकती है?

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चेतन ठठेरा ,94141-11350 पत्रकारिता- सन 1989 से दैनिक नवज्योति - 17 साल तक ब्यूरो चीफ ( भीलवाड़ा और चित्तौड़गढ़) , ई टी राजस्थान, मेवाड टाइम्स ( सम्पादक),, बाजार टाइम्स ( ब्यूरो चीफ), प्रवासी संदेश मुबंई( ब्यूरी चीफ भीलवाड़ा),चीफ एटिडर, नामदेव डाॅट काम एवं कई मैग्जीन तथा प समाचार पत्रो मे खबरे प्रकाशित होती है .चेतन ठठेरा, दैनिक रिपोर्टर्स.कॉम