मुल्क की मोटी और भद्दी कही जाने वाली औरतों के लिए हास्य अभिनेत्री/ गायिका टुनटुन (Tuntun) आदर्श की भांति है। जिन्होंने भारतीय सिने रजत पट पर भारतीय सौंदर्य बोध को नए आयाम दिए। कमज़ोर इल्म वाले नहीं जानते कि टुनटुन का असली नाम उमा देवी खत्री था, जो बेहद शानदार गायिका भी थीं।
यूपी में ज़मीन के लिए उमा देवी के माता- पिता और भाई का क़त्ल कर दिया गया था। तब 13 साल की अनाथ लड़की पचास के दशक में घर से भागकर मायानगरी पहुंचती है। वहां संगीतकार नौशाद से मिलकर कहती है कि “मुझे काम दीजिए साहब! वरना मैं नदी में कूदकर अपनी जान दे दूंगी, मैं गाना गा सकती हूं।” 1947 में रिलीज हुई ‘दर्द’ फिल्म में नौशाद साहब ने उमा देवी से ‘अफसाना लिख रही हूं, दिल-ए-बेक़रार का’ गाना गवाया, जो हिट हुआ और आज भी सुना जाता है।
उमा देवी ने मशहूर संगीतकारों के साथ लोकप्रिय गीत गाए, जबकि उस दौर में शमशाद बेग़म पेशेवर गायिका के रूप में उभर चुकी थीं।
स्थूलकाय हो जाने के कारण लोग उन्हें कॉमेडियन का रोल करने की सलाह देने लगे, इस तरह उमादेवी ‘टुनटुन’ बन गईं। उमा देवी का फ़िल्मी नाम ‘टुनटुन’ दिलीप कुमार साहब ने रखा।
उमा देवी ने लगभग 198 फिल्मों में काम किया, उन्होंने सभी प्रमुख हास्य अभिनेताओं भगवान दादा, आग़ा, सुन्दर, मुकरी, धूमल और जॉनी वॉकर के साथ काम किया। उनकी आखरी फिल्म 1990 मे प्रदर्शित होने वाली ‘कसम धंधे की’ थी।
लेखक: भावना बुंदेल