दिल्ली । पत्रकारिता से राजनीति में आई सुचारिता मोहंती ने इन वक्त पर कांग्रेस के टिकट को लौट कर चुनाव मैदान छोड़ दिया है और इससे कांग्रेस एकदम सकते में आ गई है लोकसभा चुनाव में नाम वापसी के समय इन वक्त पर कांग्रेस के प्रत्याशियों द्वारा टिकट लौटने और मैदान छोड़ने की है तीसरी घटना है।
उड़ीसा की पूरी लोकसभा सीट से कांग्रेस उम्मीदवार सुचारिता मोहंती ने शनिवार को कांग्रेस पार्टी का टिकट लौटाते हुए दावा किया कि उन्हें पार्टी की तरफ से चुनाव लड़ने के लिए कोई पैसा नहीं दिया गया है। सुचारिता ने इस बारे में कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल को ईमेल भेजा है। इसमें उन्होंने लिखा है कि वह सांसद का टिकट लौटा रही हैं।
सूत्रो के अनुसार, सुचारिता मोहंती ने लिखा कि पुरी लोकसभा सीट पर हमारा चुनाव प्रचार बुरी तरह से प्रभावित हुआ है, क्योंकि पार्टी ने मुझे चुनाव के लिए फंडिंग देने से इनकार कर दिया। ओडिशा कांग्रेस के प्रभारी डॉ. अजय कुमार ने मुझे खुद ही चुनाव प्रचार का खर्चा उठाने को कहा।

सुचारिता मोहंती ने लिखा कि वह एक नौकरीपेशा पत्रकार रहीं हैं, जो 10 साल पहले ही राजनीति में सक्रिय हुईं। मैंने चुनाव प्रचार में पूरी ताकत झोंकी और चुनाव प्रचार के लिए लोगों से भी दान लेने की कोशिश की, लेकिन उसमें भी सफलता नहीं मिली। मैंने पार्टी के केन्द्रीय नेतृत्व से भी अपील की कि वह पार्टी फंड से जरूरी फंडिंग करें, ताकि पुरी लोकसभा सीट पर प्रभावशाली प्रचार किया जा सके। मोहंती ने लिखा कि सिर्फ फंड की कमी ही हमें पुरी लोकसभा सीट जीतने से रोक सकती है, क्योंकि मैं अपने दम पर चुनाव प्रचार जारी रखने में सक्षम नहीं हूं। मोहंती ने पार्टी टिकट लौटाते हुए कहा कि वह एक कांग्रेसी महिला हैं और कांग्रेस के मूल्य उनके डीएनए में हैं। मोहंती ने लिखा कि ‘मैं आगे भी कांग्रेस की सिपाही रहूंगी।’

सुचारिता मोहंती ने टिकट लौटाने का दूसरा कारण भी बताया। उन्होंने कहा- पुरी लोकसभा की 7 विधानसभा सीटों पर जीतने वाले उम्मीदवारों को टिकट नहीं दिया गया है। कुछ कमजोर उम्मीदवारों को टिकट दिया गया है। ऐसे में मैं ये चुनाव नहीं लड़ सकती।’ विदित है है कि उड़ीसा में लोकसभा के साथ विधानसभा चुनाव भी हो रहे।
इससे पहले सूरत में कांग्रेस प्रत्याशी नामांकन रद्द होने के कारण भाजपा के दलाल निर्विरोध निर्वाचित हो गए थे और उसके बाद इंदौर में कांग्रेस प्रत्याशी ने नाम वापसी के दिन एन वक्त पर नाम वापस लेते हुए चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया था