मध्य प्रदेश के नए सीएम का समोसे और पोहे की दुकान से मुख्यमंत्री तक का सफ़र डॉक्टर मोहन यादव (Dr Mohan Yadav) आज मध्य प्रदेश के सीएम बन गए हैं, लेकिन उनके जीवन की शुरुआत समोसे और पोहे की दुकान चलाने से हुई थी. राजनीति के इस मुकाम पर पहुंचने से पहले ही सीएम बनने का उनका ध्येय वह अपने साथियों को कई बार बता चुके हैं. यहीं नहीं एक साल पहले भी उनके सीएम बनने की चर्चा उज्जैन में चली थी.
कालेज से शुरु की थीं राजनीति
डॉक्टर यादव के चचेरे भाई गोविंद यादव ने बताया कि डॉ यादव बचपन से ही आरएसएस (RSS) की शाखा में जाते थे. विद्यार्थी परिषद (ABVP) से जुड़ने के बाद 1982 माधव विज्ञान महाविद्यालय में सह सचिव और 1984 में अध्यक्ष बने. वर्ष 1984 में एबीवीपी नगर मंत्री और 1986 में विभाग प्रमुख बने. 1988 में प्रदेश सह मंत्री और राष्ट्रीय कार्यकारिणी में सदस्य नियुक्त हुए. मोहन यादव 2004 में भाजपा प्रदेश कार्य समिति और सिंहस्थ केंद्रीय समिति सदस्य बनाए गए. मोहन यादव 2004 से 2010 तक उज्जैन विकास प्राधिकरण और 2011 से 2013 तक मध्य प्रदेश राज्य पर्यटन विकास निगम के अध्यक्ष नियुक्त किए गए थे.
डॉ मोहन यादव को संगठन में विभिन्न पदों पर रखने के बाद भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने 2008 में बड़नगर विधानसभा से टिकट दिया था, लेकिन यहां पर शांतिलाल द्वारा विरोध करने के बाद संगठन के कहने पर उन्होंने टिकट लौटा दिया. उनका यही बड़प्पन उन्हें आगे जाने में मील का पत्थर साबित हुआ. भाजपा ने 2013 में उज्जैन दक्षिण से टिकट दिया, जीतने के बाद 2018 में फिर इसी क्षेत्र से विधायक बने और फिर 2020 में भाजपा की सरकार बनने पर उच्च शिक्षा मंत्री बने 2023 में तीसरी बार इसी क्षेत्र से विधायक बने और मुख्यमंत्री की कुर्सी तक जा पहुंचे.डॉक्टर मोहन यादव परिवार में पत्नी सीमा, पुत्र डाॅ अभिमन्यु, वैभव और पुत्री डाॅ आकांक्षा हैं. हाल ही में एसके कृष्ण नाम से तीन बत्ती चौराहे पर पुत्र-पुत्री के लिए इन्होंने बड़ा हॉस्पिटल बनवाया है. परिवार में उनके पिता पूनम चंद यादव, बड़े भाई नंदलाल यादव, नारायण यादव, उज्जैन नगर निगम अध्यक्ष बहन कलावती यादव, चाचा शंकर लाल यादव, चचेरे भाई गोविंद और नितेश यादव भी साथ रहते है.