जहाजपुर (आज़ाद नेब) बजरी माफिया क्षेत्र में खुलेआम अवैध बजरी खनन व परिवहन करते हैं माफियाओं के आगे पुलिस व प्रशासन लाचार सा दिखाई देता है। आगे से दबाव पड़ने पर दिखावे में कार्यवाही करते हैं वो भी ऊंट के मुंह में जीरा जैसी। पुलिस-प्रशासन की लचर और नियमानुसार कार्रवाई नहीं की जानें से बजरी माफियाओं के हौंसले बुलंद हैं।
पुलिस और प्रशासन की इसी कार्यशैली के चलते क्षेत्र में बजरी माफिया कुकुरमुत्ते की तरह लगातार बढ़ते जा रहे है। क्षेत्र में हालात ये हैं 24 घंटे अवैध खनन हो रहा है। लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों ने शायद आंखों में पट्टी बांध रखी है ओर कानों में रूई लगा रखी है। अवैध बजरी खनन व परिवहन करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने कतराते है। अवैध बजरी खनन व परिवहन पर अनवरत मिडिया द्वारा आवाज उठाई जाती रही पर क्षेत्रीय अधिकारियों के जु तक नहीं रेंगी है। हां जब कभी उच्चाधिकारियों का दवाब पड़ता है तो खुद की खाल बचाने के लिए ये कार्रवाई करते।
ऐसा ही मामला विगत रात्रि को देखने को मिला बीरामाता के ग्रामीणों ने अवैध बजरी परिवहन करते चार ट्रैक्टरों को रोककर पुलिस के हवाले किया। सोचने का विषय है जो काम ज़िम्मेदारों को करना था वो काम अब जनता द्वारा किया जा रहा है। मतलब साफ़ है बजरी माफियाओं के आगे पुलिस व प्रशासन नतमस्तक है।
दो दिन पूर्व शक्करगढ़ थाना क्षेत्र में पुलिस का एस्कॉर्ट करने के मामले में भी माफियाओं को शांतिभंग में गिरफ्तार किया पर ऐसा क्या दबाव आया कि उन्हें उसी समय या अगले दिन जमानत पर छोड़ दिया जाता हैं।
जबकि नियमानुसार प्रशासन को अवैध बजरी खनन तथा परिवहन करने वालों के खिलाफ एमएमआरडी एक्ट 1952 व पीडीपीपी एक्ट में सरकारी व सार्वजनिक सम्पति को खुर्दबुर्द करने तथा सरकारी संपदा की चोरी की धाराओं में मामला दर्ज कर सख्त कार्रवाई करनी चाहिए। खनिज विभाग की लापरवाही के चलते जिला कलेक्टर के दबाव के चलते कुछ मामलों को छोड़कर ज्यादातर अवैध बजरी परिवहन करते पकड़े गए वाहनों को सीज कर मुकदमे बनाने के बजाय पेनल्टी राशि वसूल मोटर व्हीकल एक्ट में मामूली चालान काट या धारा 38 के मामूली चालान में पकड़कर छोड़ दिया जाता है।