बाल्यकाल में हम “ज्ञानार्थ प्रवेश- सेवार्थ प्रस्थान” विद्यालय में पढ़ते थे, जो ज्ञान के साथ-साथ सेवा को भी महत्त्व देता है – आलोक रंजन

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भरतपुर । महारानी श्री जया राजकीय महाविद्यालय में आजादी के अमृत महोत्सव के अवसर पर ”भारत एवं युवा“ विषय पर एक दिवसीय संगोष्ठी का बहुत ही भव्यता के साथ आयोजन हुआ।

इस अवसर पर अतिथियों द्वारा मॉँ सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्वलन, माल्यापर्ण एवं डॉ. बीनेश कुमारी सहायक आचार्य, भूगोल की सरस्वती वंदना से कार्यक्रम का आगाज किया गया। इस अवसर पर महाविद्यालय के छात्रसंघ अध्यक्ष पवन चिकसाना, डॉ. इला मिश्रा, डॉ. सुनीता पाण्डेय, सी.एम. कोली., डॉ. अशोक गोयल, डॉ. महेश कुमार गुप्ता, डॉ. जीतेन्द्र सिंह, डॉ. शिवाली चौहान, अनिल कुमार नागर, डॉ. बालकृष्ण शर्मा, विष्णु चन्द गौड, डॉ. सविता मीना, वर्षा डागुर, कृष्ण पाल सिंह एवं अन्य सभी संकाय सदस्य एवं विद्यार्थीगण उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन डॉ. चतुर सिंह सिनसिनवार ने एवं धन्यवाद तथा आभार डॉ. अशोक कुमार गुप्ता ने किया।

इस अवसर पर महाविद्यालय के प्राचार्य प्रोफेसर ओम प्रकाष सोलंकी ने अतिथियों का स्वागत करते हुए महाविद्यालय की विभिन्न समस्याओं जैसे-ऑडीटोरियम, ओपन थियेटर, टीचिंग ब्लॉक आदि को दुरुस्त कराने एवं महाविद्यालय में जल प्लावन की समस्या के निवारण की माँग रखी। उन्होंने मंचस्थ अतिथियों से महाविद्यालय में विकास करने हेतु अधिक से अधिक बजट आंवटित करने की अपनी बात रखी।

इस मौके पर कार्यक्रम के मुख्य अतिथि जिला कलेक्टर आलोक रंजन ने युवाओं एवं सम्भागियों को सम्बोधित करते हुए कहा कि बाल्यकाल में हम “ज्ञानार्थ प्रवेश- सेवार्थ प्रस्थान” विद्यालय में पढ़ते थे, जो ज्ञान के साथ-साथ सेवा को भी महत्त्व देता है। आपके लिए भी आज विद्या का उद्देश्य धन कमाना नहीं अपितु सेवा का भी होना चाहिए।

65 प्रतिशत युवा आज भारत में हैं, यदि ये अपनी जिम्मेदारियों को पहचानते हैं तो वो स्वंय, परिवार, समाज एवं देश का भी पूर्णतः विकास कर सकेंगे। उन्होंने अनेक महापुरुषों के उदाहरण देते हुए युवाओं से कहा की शिक्षा अपने अन्दर की क्षमताओं को विकसित करती है।

उन्होंने कहा की समाज कल्याण एवं सरकारी योजनाएँ जैसे-चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना आदि की जानकारी युवाओं को रखनी चाहिए। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि युवा जागरुक होकर अनुषासन में रहना सीखें। उन्होंने कहा की आज सरकारी एवं प्राईवेट नौकरी में कोई अन्तर नहीं है। व्यक्ति अपनी रुचि के अनुसार जैसे खेल, नौकरी, म्यूजिक, पंेटिंग आदि किसी में भी अपना कैरियर बना सकता है।

उन्होंने मोबाइल के दुरुपयोग से बचने की जागरुकता पर भी जोर दिया। इस अवसर पर उन्होंने युवाओं के लिए कैरियर गाईडेंस का शिविर लगाने की बात भी रखी। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे रुसा उपाध्यक्ष डॉ. दर्याव सिंह चूड़ावत ने अपने उद्बोधन में कहा की कार्य की शुरुआत स्वंय से करें।

उन्होंने राष्ट्रनिर्माण एवं देश की आजादी में शहीद भगतसिंह, राजगुरु, सुखदेव, सरदार बल्लभ भाई पटेल, महात्मा गाँधी, जवाहर लाल नेहरु आदि महापुरुषों के योगदान को स्मरण किया। उन्होंने कहा कि युवा 12वीं के बाद अपने लक्ष्य को निर्धारित करें और कड़ी मेहनत के साथ अपने उद्देष्य को पूरा करें। उन्होंने कहा की अपने जीवन में जो कार्य आपने किया है वही आपके काम आयेगा।

उन्होंने समय प्रबंधन को भी अपने जीवन में महत्ता देने की बात रखी। उन्होंने कहा कि महाविद्यालय के विकास के लिए ”राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान“ अर्थात रुसा से निष्चित रूप से आपको अधिक से अधिक आर्थिक सहयोग प्राप्त होगा।

इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि राष्ट्रीय सेवा योजना के पूर्व राज्य समन्वयक डॉ. बनय सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि भारत एक युवा देश है। वर्तमान में आज एकल परिवार होने से युवा भटक रहा है। उन्होंने कहा कि भारत का उज्ज्वल भविष्य तभी संम्भव है जब युवा महापुरुषों की जीवनी का अध्ययन कर प्रेरणा लेवें।

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