जहाजपुर(आज़ाद नेब) प्रशासन के अथक प्रयासों के बाद भी मिलावटखोरों पर लगाम नहीं लगाई जा पा रही है। कारण यह है कि कार्रवाई की सुचना उन्हें पहले ही लग जाती हैं और वह अपने प्रतिष्ठान बंद करके भाग खड़े होते हैं। ऐसी सूरत मे कार्रवाई नहीं होने पर मिलावटखोर अपने कारनामों को अंजाम दे रहे हैं। वैसे भी जिन व्यापारियों पर आम जनता को पूरा भरोसा होता है। लेकिन ऐसे अपनी दुकानों को बंद कर भागने से अब आमजन का भरोसा भी लगभग कम होता दिखाई दे रहा है। आमजन अपने आप को ठगा सा महसूस कर रहे हैं।
आज ऐसा ही फिर देखने को मिला शुद्ध के लिए युद्ध अभियान में कार्रवाई के लिए आये अधिकारियों की सूचना मिलते ही एक बार फिर भाग छूटे व्यापारी। क्या ऐसे व्यापारियों के खिलाफ सरकार कोई कड़ा कदम क्यों नहीं उठा पा रही है अपने प्रतिष्ठान बंद कर भागने वाले व्यापारियों को चिन्हित कर उनका लाइसेंस रद्द नहीं किया जा सकता। मिलावट खोर कारोबारी दिन-ब-दिन फल फूल रहे हैं। खाद्य पदार्थों में मिलावट का गोरखधंधा प्रशासनिक अधिकारियों के तामाम प्रयास के बावजूद कहीं से रुकता नहीं दिख रहा है।
हाईकोर्ट खाद्य पदार्थों में मिलावट को एक संगीन अपराध की श्रेणी में रखा है। खाद्य पदार्थों में मिलावट करने को लेकर आजीवन कारावास तक का प्रावधान है। लेकिन मिलावटखोरों पर होने वाली कार्रवाई अक्सर जुर्माने तक ही सीमित रह जाती है। अगर अपराध साबित होता है तो भारतीय दंड सहिता की धारा 272 के तहत अपराधी को आजीवन कारावास तक की सजा हो सकती है।