भीलवाड़ा/ काल के काल महाकाल और देवों के देव महादेव भगवान शिव एवं जगत जननी मां पार्वती के मिलन के दिन को महाशिवरात्रि के रूप में मनाया जाता है और महाशिवरात्रि (Mahashivratri ) का यह पर्व कल है और इस बार महाशिवरात्रि पर पंच ग्रह विशेष योग बन रहा है यह योग भक्तों के लिए विशेष पुण्य दाई होगा ।
इस वर्ष महाशिवरात्रि 1 मार्च को सुबह 03.16 मिनट से शुरू होकर बुधवार, 2 मार्च को सुबह 10 बजे तक रहेगी। रात्रि में शिवजी के पूजन का शुभ समय शाम 6.22 मिनट से शुरू होकर रात्रि 12.33 मिनट तक रहेगा। कहते हैं महाशिवरात्रि के दिन चाहे कोई भी समय हो भगवान शिव जी की आराधना करना चाहिए।
[ भीलवाड़ा में कल बालीवुड सिंगर रेखा राव(बालिका वधू) व महेन्द्र अलबेला बिखेंरेंग स्वर लहरियां,राजस्थानी व बालीवुड का होगा जलवा ]
बारहवें भाव में मकर राशि में पंचग्रही योग रहेगा। मंगल, शुक्र, बुध और शनि के साथ चंद्र है। लग्न में कुंभ राशि में सूर्य और गुरु की युति रहेगी। चतुर्थ भाव में राहु वृषभ राशि में जबकि केतु दसवें भाव में वृश्चिक राशि में रहेगा।
महाशिवरात्रि की विधि-विधान से विशेष पूजा निशिता या निशीथ काल में होती है। हालांकि चारों प्रहरों में से अपनी सुविधानुसार यह पूजन कर सकते हैं। साथ ही महाशिवरात्री के दिन रात्रि जागरण का भी विधान है। महाशिवरात्रि पर शिवलिंग की पूजा होती है। इस दिन मिट्टी के पात्र या लोटे में जलभरकर शिवलिंग पर चढ़ाएं इसके बाद उनके उपर बेलपत्र, आंकड़े के फूल, चावल आदि अर्पित करें। जल की जगह दूध भी ले सकते हैं। इस दिन महामृत्युंजय मंत्र या शिव के पंचाक्षर मंत्र ॐ नमः शिवाय का जाप करना चाहिए।
भगवान भोलेनाथ को कैसे करें प्रसन्न
भांग : भांग अर्पित करना शुभ माना जाता है। इससे शिवजी अपने भक्तों की हर तरह से रक्षा करते हैं।
धतूरा : धतूरा अर्पित करने से सभी तरह के संकटों का समाधान हो जाता है।
बिल्वपत्र : बिल्वपत्र को अर्पित करने से 1 करोड़ कन्याओं के कन्यादान का फल मिलता है। यह शिवजी के तीन नेत्रों का प्रतीक है।
आंकड़ा : एक आंकड़े का फूल चढ़ाना सोने के दान के बराबर फल देता है।
दूध : किसी भी प्रकार के रोग से मुक्त होने और स्वस्थ रहने के लिए दूध अर्पित करें।
दही : जीवन में परिपक्वता और स्थिरता प्राप्त करने के लिए दही अर्पित करते हैं।
देसी घी : शिवलिंग पर घी अर्पित करने से व्यक्ति में शक्ति का संचार होता है।
चीनी : चीनी अर्पित करने से जीवन में कभी भी यश, वैभव और कीर्ति की कमी नहीं होती है।
इत्र : इत्र चढ़ाने से तन और मन की शुद्धि होती है साथ ही तामसी आदतों से मुक्ति भी मिलती है।
केसर : लाल केसर से शिवजी को तिलक करने से सोम्यता प्राप्त होती है और मांगलिक दोष भी दूर होता है।
महाशिवरात्रि पूजा पर बरतें यह सावधानियां
शिव पूजा में तुलसी का पत्ता अर्पित नहीं किया जाता है।
शिवजी को केतकी और केवड़ा के फूल अर्पित नहीं करते हैं।
शिवजी के समक्ष शंख भी नहीं बजाया जाता है।
शिवजी को नारियल भी अर्पित नहीं किया जाता है।
शिवजी को रोली और कुमकुम भी नहीं लगाया जाता है।
शिवलिंग की पूर्ण परिक्रमा नहीं की जाती है।