जयपुर/ राजस्थान में विधानसभा चुनाव को लेकर 7 महीने से भी कम समय बचा है चुनाव में सत्ता हासिल करने के लिए दोनों ही प्रमुख दल भाजपा और कांग्रेस अपने अपने स्तर पर अपनी गहराई नाप रही है तथा कॉन्ग्रेस एजेंसियों से कुछ बिंदुओं को आधार बनाकर सर्वे करा रही है ।
राजस्थान दिसंबर माह में चुनाव होने हैं इसको लेकर राजनीतिक स्तर पर प्रदेश में आंतरिक रूप से सरगर्मियां चालू हो गई है।
दोनों ही प्रमुख दल भाजपा और कांग्रेस के अलावा आम आदमी पार्टी भी इस बार चुनाव में अपना दमखम दिखाने का प्रयास करेगी तो वहीं निर्दलीय विधायक बनने की भी होड रहेगी और अगर चुनाव के पहले कोई तीसरा मोर्चा बन जाए तो इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं ।
विधानसभा चुनाव को लेकर विपक्षी दल भाजपा इस बार सत्ता पर काबिज होने के लिए संगठन स्तर पर और बूथ स्तर तक कांग्रेश से काफी मजबूत है यहां तक कि भाजपा ने आंतरिक रुप से दो दो बार सर्वे ने भी करा लिया है।
हालांकि भाजपा में भी आंतरिक गुटबाजी तो काफी है पार्टी आलाकमान ने इस गुटबाजी पर ब्रेक लगाने के लिए एक कदम बढ़ाते हुए प्रदेशाध्यक्ष डॉक्टर सतीश पूनिया को हटाकर उनके स्थान पर चित्तौड़गढ़ से सांसद सीपी जोशी को प्रदेशाध्यक्ष की कमान सौंपी है।
आलाकमान का इसके पीछे उद्देश्य ब्राह्मण मतदाताओं को अपनी ओर खींचने के साथ ही पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की नाराजगी को दूर करने का भी प्रयास किया गया है हालांकि यह प्रयास कितना सफल होता है ।
वसुंधरा राजे कितनी राजी होती है क्या वसुंधरा राजे के नेतृत्व में चुनाव लड़ा जाएगा यह सब अभी बंद पिटारे में है जिसके बारे में कुछ कहना और लिखना बहुत जल्दी बाजी हो जाएगी।
उधर दूसरी ओर सत्ता पक्ष कॉन्ग्रेस और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत एक बार फिर दो दशक से चले आ रहे हैं परंपरा एक बार भाजपा और एक बार कांग्रेस सत्ता के तिलिस्म को तोड़कर कांग्रेस को लगातार सत्ता में बनाए रखने के लिए जी जान से जुटे हुए हैं।
हालांकि कांग्रेस में अभी तक आंतरिक गुटबाजी पूरी तरह से हावी है और मुख्यमंत्री गहलोत तथा और उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट के बीच वर्चस्व की लड़ाई का युद्ध अभी भी जारी है और यही स्थिति रही तो कांग्रेश के लिए चुनाव में वापस सत्ता में आने की राह मुश्किल हो सकती है ।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सरकारी एजेंसी के माध्यम से कुछ बिंदुओं को आधार बिना बनाकर सर्वे युद्ध स्तर पर कराया जा रहा है यह सर्वे ग्रामीण स्तर से लेकर शहरी स्तर तक है और वार्ड पंच से लेकर पार्षद तक को केंद्र बिंदु बनाया गया ।
इस सर्वे के दौरान कौन सा वार्ड पंच कौन सा नेता कौन सा सरपंच कौन सा पार्टी पदाधिकारी कौन सा पार्षद का कितना क्षेत्र में वर्चस्व है कितने मतदाता उसके पक्ष में हैं उसकी आम जनता में क्या छवि है और कितनी पकड़ है तथा विधानसभा स्तर पर विधानसभा के क्षेत्र में क्या आम जनता की वास्तविक और मजबूत मांग है जो अभी तक पूरी नहीं हो पाई है और उस्मान के पूरी होने से कितना फर्क पड़ेगा।
इस सर में पार्टी के वार्ड पंच सरपंच नेता पदाधिकारी पार्षद के अलावा ऐसे लोगों की भी जानकारी एकत्र की जा रही है कि अमुक व्यक्ति की उस विधानसभा क्षेत्र में उस ग्रामीण क्षेत्र में कितनी पकड़ है पार्टी में नहीं होते हुए भी आम जनता है।
उसकी क्या इमेज है कितने मतदाता उस के पक्ष में हैं इस तरह के करीब 5 से 6 बिंदुओं को आधार बनाकर विस्तार से सर्वे कराया जा रहा है और यह सभी पूरे प्रदेश में एजेंसी द्वारा किया जा रहा है।