जयपुर/ राजस्थान में कांग्रेस की बड़े नेताओं का यह जुल्मा कि कांग्रेस सत्ता में फिर से वापसी करेगी यह केवल जुल्मा ही बनकर रह जाएगा जब तक मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट के बीच सत्ता के वर्चस्व की लड़ाई समाप्त नहीं होगी और दोनों एक साथ नहीं होंगे तब तक यह संभव नहीं है और सचिन पायलट के बिना राजस्थान में कांग्रेस की सत्ता में वापसी भी मुश्किल है।
वहीं दूसरी ओर सचिन पायलट द्वारा नई पार्टी बनाने की अटकलें मात्र अफवाह है वह ऐसा कुछ नहीं करने जा रहे हैं बल्कि 11 जून को वह अपना शक्ति प्रदर्शन करने के साथ ही राजस्थान में बड़े प्रदर्शन की घोषणा कर सकते हैं।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट के बीच सत्ता के वर्चस्व की लड़ाई पिछले साढे साल से चल रही है अब मात्र 5 महीने बाद राजस्थान में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं ऐसे में दोनों के बीच कि यह तकरार कांग्रेस के लिए बहुत बड़ा नुकसान दे होगी?
हालांकि कांग्रेस आलाकमान चाहे कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मलिकार्जुन खरगे हो या राष्ट्रीय महासचिव देखके से वनों गोपाल या फिर राजस्थान के प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा और स्वयं मुख्यमंत्री अशोक गहलोत लगातार यह कह रहे हैं कि कॉन्ग्रेस राजस्थान में फिर से सत्ता में वापसी करेगी और प्रदेश में हर 5 साल में सत्ता बदलने का प्रचलन टूटेगा लेकिन।
यह सिर्फ एक सपना सा नजर आ रहा है क्योंकि जब तक यह दोनों नेता एक साथ होकर चुनाव नहीं लड़ेंगे तब तक कांग्रेस की सत्ता में वापसी बहुत मुश्किल दिख रही है क्योंकि सन 2018 के विधानसभा चुनाव में अशोक गहलोत सचिन पायलट में एक साथ मिलकर पूरी ताकत के साथ चुनाव लड़ा था।
उसके बाद भी कांग्रेस मात्र 99 सीटों पर ही अटक गई थी और उसे स्पष्ट बहुमत तक नहीं मिला था वह तो कांग्रेस ने बसपा और निर्दलीय विधायकों के साथ जोड़-तोड़ करके बहुमत हासिल कर सरकार बना ली थी जबकि इस बार होने वाले विधानसभा चुनाव में तो यह दोनों ही नेता अलग-अलग है ऐसे में कांग्रेस की सत्ता में वापसी कैसे संभव हो सकती है ?
हालांकि कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव केसी वेणुगोपाल ने दिल्ली में इन दोनों नेताओं के साथ मुलाकात और मलिकार्जुन खरगे राहुल गांधी के साथ हुई बैठक के बाद मीडिया के सामने आकर कहा था कि दोनों नेता एक साथ हैं और मिलकर चुनाव लड़ेंगे समझौता हो गया है।
लेकिन समझौता क्या हुआ किस फार्मूले पर हुआ आज तक कांग्रेस का शीर्ष नेता इसे मीडिया के सामने सार्वजनिक नहीं कर पाया है और यहां तक कि सचिन पायलट भी संतुष्ट नजर नहीं आ रहे हैं ।
11 का आंकड़ा
पिछले करीब 1 महीने से कांग्रेस का एक बड़ा खेमा जिसे गहलोत पक्ष का खेमा और पायलट विरोधी माना जाता है के द्वारा लगातार यह कृत्रिम अफवाह फैलाई जा रही है कि सचिन पायलट 11 जून को अपनी अलग पार्टी की घोषणा करने जा रहे हैं । इस गुट द्वारा यह प्रचारित किया जा रहा है।
कि इससे पहले पायलट 11 अप्रैल को 1 दिन का अनशन रखा 11 मई को अजमेर से जयपुर की 5 दिवसीय यात्रा की और 11 जून 2020 को सचिन पायलट की श्रद्धांजलि कार्यक्रम के ठीक 1 महीने बाद सचिन पायलट अपने साथी विधायकों के साथ हरियाणा के मानेसर चले गए थे ।
और इन्हीं सब को लेकर अब इस खेमे द्वारा यह अफवाह प्रचारित की जा रही है कि सचिन पायलट 11 जून को दोसा में अपने स्वर्गीय पिता राजेश पायलट की पुण्यतिथि पर का कार्यक्रम के बहाने अलग पार्टी की घोषणा करेंगे।
जबकि वास्तविकता यह है कि सचिन पायलट 11 दिसंबर को अपने पिता स्वर्गीय राजेश पायलट की 23 वीं पुण्यतिथि पर आयोजित श्रद्धांजलि सभा का कार्यक्रम कर एक बार फिर से अपनी ताकत दिखाने के प्रयास में जुटे हुए हैं।
विदित है कि 11 दिसंबर 2020 को पूर्व केंद्रीय मंत्री और सचिन पायलट के पिता राजेश पायलट का दौसा में एक सड़क हादसे में निधन हो गया था और लगातार पिछले 22 साल से सचिन पायलट दोसा में अपने पिता राजेश पायलट का श्रद्धांजलि कार्यक्रम करते आ रहे हैं और इस बार भी वही होगा।
जहां तक सचिन पायलट के द्वारा नई पार्टी बनाने की घोषणा का सवाल है सचिन पायलट जब तक कांग्रेश उनको पार्टी से बाहर नहीं निकाली गई तब तक वह अपनी नई पार्टी नहीं बनाएंगे ।
दूसरी ओर पायलट राहुल गांधी का भी विदेश दौरे से लौटने का इंतजार कर रहे हैं राहुल गांधी अभी अमेरिका के दौरे पर हैं और 12 जून को वापस लौटेंगे और पायलट कोई भी फैसला लेने से पहले एक बार राहुल गांधी से मिलेंगे ।
उधर सूत्रों के अनुसार प्रियंका गांधी वाड्रा दी जाती है कि गहलोत की जगह पायलट को मुख्यमंत्री बनाया जाए और सोनिया गांधी अशोक गहलोत के पक्ष में हैं तथा राहुल गांधी केवल इस पक्ष में है कि कांग्रेस की सत्ता राजस्थान में वापस हो और ऐसे व्यक्ति को मुख्यमंत्री बनाया जाए जिसके नाम पर राजस्थान में कांग्रेस वापस सत्ता में आ सके।
क्योंकि 2018 में सत्ता पायलट के नाम पर मिली थी और यदि उनको सीएम बनाया जाता है तो कांग्रेस सत्ता में वापसी कर सकती हैऐसा राहुल गांधी का भी मानना है ? लेकिन अशोक गहलोत की मजबूत पकड़ मलिकार्जुन खरगे द्वारा सोनिया गांधी को पूछे बिना निर्णय नहीं कर पाने की कमजोरी के कारण से कोई रास्ता नहीं निकल पा रहा है ।
दूसरी और सचिन पायलट ने दिल्ली बैठक के बाद भी स्पष्ट कर दिया है कि जब तक उनकी तीनों मांगों को नहीं माना जाएगा तब तक वह पीछे हटने वाले नहीं हैं और गहलोत ने इन तीनों मांगों को मानने से साफ इनकार भी कर दिया है ऐसे में टकराव बरकरार बना हुआ है ।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पक्ष का गुट यही चाहता है कि सचिन पायलट कांग्रेस छोड़कर चले जाए और नई पार्टी बना ले जबकि सचिन पायलट और उनके समर्थक यह चाहते हैं कि कांग्रेस उनको पार्टी से निकाले गए पार्टी छोड़कर नहीं जाएंगे और यही दोनों तरफ से जोर आजमाइश चल रही है।
जबकि दूसरे कांग्रेश आलाकमान यह चाहता है कि वर्तमान हालात और आने वाले विधानसभा चुनाव को देखते हुए दोनों नेता एक साथ रहें और एक साथ मिलकर चुनाव लड़े तो कांग्रेस राजस्थान में वापस सत्ता में वापसी कर सकती है।