जयपुर/ राजस्थान में मुख्यमंत्री गहलोत हर साल बजट में नई-नई घोषणाएं कर रहे हैं और जहां तक शिक्षा विभाग की बात है गहलोत लगातार घोषणाएं कर रहे हैं और इस चुनावी साल में तो उन्होंने जमकर घोषणा ही की लेकिन यह घोषणा ही सिर्फ कागजों में ही नजर आई है ।
धरातल पर इसका कोई वास्ता अभी तक सामने नहीं आया है सरकार ने घोषणा ए तो कर दी लेकिन के लिए बजट नहीं होने से यह घोषणाएं सिर्फ घोषणा ही बनकर रह गई है।
और नतीजा यह है कि एक पूरा साल निकल गया और 400000 छात्राओं को अभी तक साइट ने नहीं मिली और नया सत्र डेढ़ माह बाद फिर शुरू होने वाला है वही 93000 छात्र भी टेबलेट का इंतजार कर रहे हैं शिक्षा विभाग के पास बजट नहीं है अबे क्या करें।
गहलोत सरकार ने सत्ता में आने पर बोर्ड की परीक्षाओं में होनार छात्रों को लैपटॉप तथा कक्षा 9 की छात्राओं को साइकिले हर साल देने की घोषणा की थी। बजट के अभाव में यह योजनाएं अटकी हुई हैं।
विद्यार्थियों को चार साल से लैपटॉप (अब टेबलेट) योजना का लाभ नहीं मिल पाया है। प्रदेश के 93 हजार विद्यार्थियों के टेबलेट मिलने हैं।
सत्र 2022-23 पूरा खत्म हो गया, लेकिन 4 लाख बेटियों को साइकिल नसीब नहीं हुई है। इन सब योजनाओं के लिए विभाग के पास बजट ही नहीं है, इसके लिए 375 करोड़ रुपए की जरूरत है। विभाग अब इस बजट के लिए प्रयास कर रहा है, लेकिन बजट की व्यवस्था कब तक हो पाएगी।
टेबलेट योजना के लिए कितनी राशि की जरूरत
कांग्रेस सरकार आने के बाद विद्यार्थियों को एक बार भी लैपटॉप नहीं मिले हैं। शिक्षा विभाग की लेपटॉप योजना 4 साल से अटकी पड़ी है। इन चार सालों के 93 हजार विद्यार्थियों को लैपटॉप मिलने हैं।
इस साल सरकार ने योजना में बदलाव कर दिया और अब टेबलेट वितरित होंगे। लेकिन विभाग अभी तक टेबलेट भी नहीं दे पाया है। इनकी खरीद के लिए करीब 200 करोड़ रुपए की जरूरत है। विभाग के पास इतना बजट नहीं है।
इस योजना में माध्यमिक शिक्षा बोर्ड कह रहा है कि शिक्षा विभाग देगा छात्रों को लैपटॉप और शिक्षा विभाग कह रहा है कि यह माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की योजना थी तो वोट देगा वह बताएं अब हालात है कि माध्यमिक शिक्षा बोर्ड का बजट ही 200 करोड़ रुपए का है ।
ऐसे में अगर 200 करोड़ रुपए लैपटॉप के लिए दे दी जाए तो बोर्ड के पास क्या बचेगा और इसी चक्कर में फाइल बोर्ड शिक्षा विभाग के बीच घूम रही है और सरकार इस पर अभी तक निर्णय नहीं कर पाई
साइकिल योजना को 175 करोड़ की जरूरत
विभाग की ओर से सरकारी स्कूलों में 9 वीं में पढ़ने वाली छात्राओं को साइकिल दी जाती है। छात्राओं को सत्र प्रारंभ होने के एक से दो महीने में ही साइकिल मिल जानी चाहिए, ताकि वह साइकिल से स्कूल जा सके।
लेकिन पूरा सत्र 2022-23 खत्म हो गया। साइकिल अब तक नहीं मिली है। विभाग को करीब 4 लाख छात्राओं को साइकिल देनी है, जिसके लिए करीब 175 करोड़ रुपए चाहिए।
आरटीई का पुनर्भरण भुगतान नहीं
शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत निजी स्कूलों में निशुल्क पढ़ाई करने वाले विद्यार्थियों की पुनर्भरण राशि निजी स्कूल को दी जाती है। यह राशि सत्र में दो किस्तों में देने का नियम है, लेकिन पूरा सत्र बीत गया।
अभी तक माध्यमिक शिक्षा के स्कूलों को पहली किस्त भी नहीं मिली है। निजी स्कूलों में करीब 6 लाख विद्यार्थी आरटीई के तहत पढ़ाई कर रहे हैं। सरकार ने बजट भी दे दिया, लेकिन भुगतान नहीं हुआ।