जयपुर
सरकार ने डीजीपी भूपेन्द्र सिंह पर भरोसा जताते हुए उन्हें तोहफा दिया है। मंगलवार को आदेश जारी कर वरिष्ठ आईपीएस डॉ. सिंह की सेवा में दो साल का विस्तार किया है। केन्द्र सरकार की अनुमति के बाद सरकार के इस फैसले से डीजीपी की दौड़ में चल रहे कई वरिष्ठ आईपीएस डीजीपी की बजाय डीजी पद से रिटायर होंगे। कपिल गर्ग के डीजीपी पद से सेवानिवृत्त होने के बाद सिंह ने इसी वर्ष दस जून को पुलिस महानिदेशक का कार्यभार संभाला था।
एमबीबीएस की पढ़ाई के बाद वर्ष,1986 बैच में सिंह भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी बने। उन्होंने साल ,1988 में बतौर सहायक पुलिस अधीक्षक कोटा के रूप में सेवाएं दी। चार जिलों में कमान संभालने के बाद उन्होंने अपनी कार्यप्रणाली से भरतपुर रेंज आईजी रहते अच्छी छाप छोड़ी। चार साल सीबीआई में प्रतिनियुक्ति के बाद 31 अक्तूबर 2007 से 6 मार्च 2013 तक सिंह राजस्थान पुलिस अकादमी के निदेशक रहे और सरदार पटेल पुलिस विश्वविद्यालय के प्रो. वाइस चांसलर भी रहे। उन्होंने अपनी सेवाकाल में मातहतों का विश्वास हमेशा जीता जिसके चलते वे अपनी खास पहचान रखते हैं।
ईमानदारी से कर्तव्य निर्वहन करने वाले सिंह की सराहनीय सेवाओं के चलते वर्ष,2002 में पुलिस मैडल और वर्ष,2016 में राष्ट्रपति पुलिस मैडल नवाजा गया। सिंह जुलाई,2018 में महानिदेशक कैडर में शामिल हुए। एटीएस/एसओजी और जेल डीजी रहे डॉ. सिंह की पहचान शांत स्वभाव के अधिकारी के रूप में है।
गर्ग का कार्यकाल 6 माह का था।
गर्ग का कार्यकाल 6 माह का था।