जयपुर । प्रशासनिक अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों को 23 साल पहले भरी बैठक में पुलिस अधीक्षक को थप्पड़ मारने और अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक की वर्दी फाड़ने के मामले मे कोर्ट ने तत्कालीन कांग्रेस विधायक को बरी कर दिया तथा और एक धारा मे चेतावनी देकर छोड दिया ।
क्या था मामला
बाबूलाल सिंगारिया अब केडी नया जिला जो पहले अजमेर जिले मे था और विधानसभा क्षेत्र था इस केकडी से कांग्रेस से विधायक थे । 30 जून 2001 को अजमेर जिला कलेक्ट्रेट मे तत्कालीन जिला कलेक्टर उषा शर्मा की अध्यक्षता में जन अभाव अभियोग की बैठक चल रही थी इस बैठक में अतिरिक्त जिला कलेक्टर प्रशासन राजपाल सुमित जिले के विभिन्न विभागों के अधिकारी और तत्कालीन एसपी आलोक त्रिपाठी और अतीत पुलिस अधीक्षक वासुदेव भट्ट भी मौजूद थे।
बैठक में किसी मुद्दे पर भैंस के दौरान केकड़ी से तत्कालीन कांग्रेस के विधायक बाबूलाल सिंगारिया अचानक आवेश में आ गए और उन्होंने बैठक में ही मौजूद तत्कालीन एसपी आलोक त्रिपाठी को गाली गलौज करते हुए थप्पड़ मार दिया इस घटना में बीच बचाव करने आए अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक वासुदेव भट्ट की वर्दी विधायक सिंगारिया ने फाड़ दी इस घटना से बैठक में सभी अधिकारी चौंक गए थे और माहौल भी गर्मा गया था ।
इस घटना के उनके खिलाफ तत्कालीन एड एम शहर अशफाक उल्ला की ओर से सिविल लाइन थाने में एक मामला धारा 332 353 186 आईपीसी और 323 में दर्ज कराया गया था पुलिस ने इस मामले की जांच की इसके बाद यह मामला सीआईडी सीबी को सौंप दिया गया और सीआईडी सिविल विश्व में जांच की इस मामले में तत्कालीन कलेक्टर और अशोक गहलोत सरकार में चीफ सेक्रेटरी रही उषा शर्मा भी गवह थी ।
आरोपी तथा तत्कालीन विधायक बाबूलाल सिंगारिया के वकील प्रीतम सिंह सोनी ने बताया कि एडीजे कोर्ट टीम के जज अमर वर्मा ने इस मामले में सुनवाई के बाद कल फैसला देते हुए बाबूलाल सिंगारिया को बड़ी कर दिया तथा धारा 323 के तहत सिंगारिया को हिदायत देकर छोड़ दिया है ।
विदित है कि पीसीपीएनडीटी कोर्ट ने में इस मामले में बाबूलाल सिंगारिया को 24 मार्च 2023 को 3 साल की सजा और ₹50000 का जुर्माना लगाया था इस सजा के खिलाफ सिंगारिया की ओर से अपील की गई थी जिसमें सजा स्थगित करते हुए कोर्ट ने उन्हें जमानत पर छोड़ दिया था और अब ऊपर ही अदालत में उन्हें बरी कर दिया है।