जयपुर
नगरफोर्ट में ट्रैक्टर चालक की मौत के बाद पूर्व डीजीपी और कांग्रेस विधायक हरीश मीणा का अपनी ही सरकार के खिलाफ इस प्रकार धरने पर बैठना राजनीतिक हलकों में कई सवाल पैदा कर रहा है। लोगों का मानना है की हरीश मीणा मंत्री नहीं बनाए जाने से आहत है और इस प्रकार सरकार को दबाव बनाने की राजनीति कर रहे हैं। इनके बीच ही एक चर्चा यह भी है कि हरीश मीणा सचिन पायलट ओर अशोक गहलोत में से किसके गुट में हैं ।
कुछ का कहना है कि हरीश मीणा को डीजीपी अशोक गहलोत ने ही मुख्यमंत्री कार्यकाल में बनाया था। गत वर्ष अशोक गहलोत की पहल पर ही मीणा भाजपा छोड़कर कांग्रेस में आए थे ।
ऐसे में उनकी गहलोत से निकटता मानी जा रही है, लेकिन जिस प्रकार हालात बने हैं उनसे तो यही अनुमान है कि गहलोत और मीणा की बीच लंबी दूरी पैदा हो चुकी है।
संभावना यह भी है कि मीणा अब पायलट खेमे के सिपहसालार बन चुके हैं और और पायलट को सीएम बनाने की मुहिम में लगे हुए हैं । इसी मुहिम के तहत उन्होंने कैबिनेट मंत्री रमेश मीणा के साथ हुए समझौतों को भी नहीं माना और उसके अगले दिन ही सचिन पायलट से वार्ता के बाद धरना खत्म कर दिया और ट्रैक्टर चालक के शव का पोस्टमार्टम भी करवा दिया।
वहीं दूसरी ओर राजनीतिक विश्लेषकों का यह भी मानना है कि हरीश मीणा यह सब कुछ अशोक गहलोत के इशारे पर ही कर रहे हैं । लोकसभा चुनाव में हार के बाद राज्य में अस्थिरता का माहौल है और ऐसे में अराजकता व विधायकों की विरोध से ही गहलोत की सरकार बन सकती है। नई दिल्ली में राहुल गांधी के समक्ष गहलोत कह सकते हैं कि प्रदेश में बिगड़े हालात के बीच सत्ता में कोई परिवर्तन किया गया तो विधायक बिखर जाएंगे ऐसे में उनका मुख्यमंत्री बना देना जरूरी है।
राजनीती में कब दोस्त विरोधी बन जाए यह दिखता नहीं है लेकिन यह तय है कि हरीश मीणा का अपनी ही सरकार के खिलाफ धरना बहुत बड़ा राजनीतिक संदेश है । एक बात यह भी सामने आ रही है कि मीणा का साथ सभी भाजपा नेताओं ने दिया तो आशंका यह भी है कि कहीं मीणा वापस भाजपा में जाने की राह पर तो नहीं है।