Jhunjunu News। राजस्थान सरकार द्वारा पशुओं का टीकाकरण करवाया जा रहा है। पशुपालकों को अपने पशुओं के टीकाकरण कराते समय पूरी सावधानी बरतनी चाहिए। वरना उनके पशुओं के लिए टीकाकरण करवाना खतरनाक भी साबित हो सकता है। पशुपालकों को सरकारी चिकित्सक की सलाह पर ही अपने पशुओं को टीके लगवाने चाहिए। क्योंकि बहुत से टीके अमान्य बताए जा रहे हैं।
पशुपालन विभाग की दवाओं के मानक सटीक नहीं बैठ रहे हैं। एक के बाद एक पशुपालन विभाग की दवाओं के मानक अमान्य हो रहे हैं। मानक सटीक नहीं बैठने पर पशुपालन विभाग की तो बार-बार फजीहत हो ही रही है। पशुपालकों को भी परेशानी झेलनी पड़ रही है।
राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम के तहत प्रदेश में प्रथम फेज में 21 सितंबर से 4 नवंबर तक प्रदेश के कई जिलों में टीकाकरण कार्यक्रम होना निर्धारित था। जो दवा के नकारा होने के कारण अभी तक लंबित है। इस अभियान के तहत पशुओं के खुर पका मुंह पका के टीके लगने थे। सरकार द्वारा ग्रेंम्पस लैबोरेट्रीज द्वारा निर्मित औषधि कैट इंट्रामैमरी ट्यूब कैट नंबर एमएफ 17 का एमओ बैच 181 उपलब्ध करवाया गया था। उक्त कंपनी से खरीदी गई दवा अपना प्रभाव नहीं दिखा पा रही है। दवा के मानक नहीं बैठने पर सरकार ने दवा के इस्तेमाल पर रोक लगाने के निर्देश जारी किए हैं।
पशुपालन विभाग झुंझुनू के संयुक्त निदेशक डॉ सुरेंद्र सैनी ने बताया कि सभी जिलों में उपलब्ध दवाओं के सैंपल समय-समय पर जांच के लिये भिजवाए जाते हैं। किसी भी जिले में किसी दवा का मानक सटीक नहीं बैठता है तो उसे विभाग की ओर से इस्तेमाल नहीं करने के निर्देश मिलते हैं। हाल ही में 9 अक्टूबर को एक दवा का इस्तेमाल नहीं करने के निर्देश मिले हैं।
राजस्थान पशुपालन निदेशालय के अतिरिक्त निदेशक दवा प्रकोष्ठ ने 9 अक्टूबर को एक आदेश जारी करते हुए एक दवा के नाकारा होने की जानकारी देते हुए संबंधित को दवा का इस्तेमाल नहीं करने तथा जिला स्तर पर शेष दवा के भंडारण के निर्देश जारी किए हैं। पशुपालन विभाग में दवा के निष्प्रभावी होना पहली बार नहीं हुआ है। इससे पहले भी पशुओं में बाह्य परजीवी जूं एवं चीचड़े मारने की दवा को लेकर गड़बड़झाला हो चुका है। ब्रिलिएंट बायो फार्मा द्वारा खरीदी गई दवा भी निष्प्रभावी होने पर पशुपालन विभाग के निदेशक ने 18 सितंबर को आदेश जारी कर दवा का इस्तेमाल नहीं करने को कहा था।
हिन्दुस्थान समाचार