कमलनाथ ने फ्लोर टेस्ट से पहले टेके घुटने, 53 साल बाद कहानी दोहराई

liyaquat Ali
4 Min Read

भोपाल/ चेतन ठठेरा । मध्य प्रदेश मे आखिर एक पखवाडे से चल लहे राजनैतिक घटनाक्रम और कांग्रेस की नौटंकी का उस समय पटाक्षेप हो गया जब सुप्रीम कोर्ट के डंडे( आदेश) पर आज शाम 5 बजे तक कमलनाथ सरकार को फ्लोर टेस्ट के निर्देश मिले थे लेकिन फ्लोर टेस्ट के पहले ही कमलनाथ सरकार ने घुटने ऑएक दिए और कमलनाथ ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया ।

मध्य प्रदेश मे सिंधिया परिवार द्वारा 53 साल बाद आज फिर सत्ता (तख्ता) पलट की कहानी दोहराई गई और कांग्रेस की कमलनाथ का ताज छीनवा दिया। एक बार फिर सिंधिया परिवार ने कांग्रेस को सत्ता से बाहर कर भाजपा को प्रदेश की कमान सौंपी है और यह कहानी दोहराई सिंधिया परिवार के ज्योतिरादित्य सिंधिया ने जब स्वंय की 18 साल की कांग्रेस की राजनीति छोडकर भाजपा का दामन थाम लिया औल आज कमलनाथ को सत्ता से बाहर कर दिया।

राजमाता विजयराजे सिंधिया का सियासी सफर


सिंधिया परिवार का राजनीतिक सफर या यूं कहें कि संसदीय राजनीति का सफर विजयराजे सिंधिया से शुरू हुआ । उन्हें ग्वालियर राजघराने की राजमाता के नाम से भी जाना जाता है । राजमाता ने 1957 में कांग्रेस के टिकट पर शिवपुरी (गुना) लोकसभा सीट से चुनाव जीता और अपनी राजनीति की शुरुआत की। हालांकि यह सिलसिला लंबे समय तक नहीं चला और बाद में उन्होंने जनसंघ का दामन थाम लिया। 1980 में जनसंघ में उनकी राजनीति की नई पारी की शुरुआत हुई और बाद में इस पार्टी की उपाध्यक्ष तक का सठर तय किया ।
आज जब ज्योतिरादित्य सिंधिया के भाजपा में आने और उनके समर्थन से मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सरकार गिरने ऐसे में लोगों को विजयराजे सिंधिया का वह वाकया भी याद आया होगा जब उन्होंने तत्कालीन कांग्रेस सरकार को गिराया था। विदित है की 1967 में विजयराजे सिंधिया ने मध्य प्रदेशके तत्कालीन मुख्यमंत्री डी.पी. मिश्रा की सरकार को गिराया था और जनसंघ के विधायकों के समर्थन से गोविंद नारायण सिंह को मध्य प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया था।

4 माह पहले सिंधिया के ससुराल मे बनी थी योजना
ज्योतिरादित्य सिंधिया का ससुराल बड़ौदा में है। उनकी पत्नी प्रियदर्शनी राजे सिंधिया बड़ौदा के गायकवाड़ मराठा राजरिवार से हैं। सिंधिया का इस वजह से गुजरात अक्सर आना जाना होता है। जबकि सिंधिया की सास नेपाल राजघराने से ताल्लुक रखती हैं। प्रियदर्शनी से ज्योतिरादित्य सिंधिया का विवाह 12 दिसंबर 1994 को हुआ है। बताया जाता है कि बड़ौदा महाराज से प्रधानमंत्री मोदी से अच्छे रिश्ते हैं। यहीं वजह है कि पीएम मोदी ने पहली बार लोकसभा चुनाव भी बड़ौदा से ही लड़े थे।
नवंबर में सिंधिया गए थे बड़ौदा
जानकारों के अनुसार ज्योतिरादित्य सिंधिया नवंबर में बड़ौदा गए हुए थे। बड़ौदा महाराज के यहां कोई पारिवारिक फंक्शन था। जिसमें परिवार के सभी लोग एकत्रित हुए थे। बताया जा रहा है कि किसी सदस्य का शादी समारोह था। यहां सियासी जगत के भी कई लोग पहुंचे थे। सियासी हलकों में यह चर्चा है कि यहीं पर बड़ौदा महाराज के साथ सिंधिया ने अपनी वर्तमान राजनीतिक स्थिति को लेकर चर्चा की।

चर्चा है कि इस समारोह में सिंधिया के राजनीतिक भविष्य को लेकर बात हुई। क्योंकि कांग्रेस में सिंधिया बिल्कुल ही अलग-थलग पड़ गए थे। पार्टी न तो उन्हें प्रदेश अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी देने को तैयार थी और न ही राज्यसभा भेजने को। ऐसे में सिंधिया के पास कोई रास्ता नहीं बचता था। बड़ौदा महाराज से नरेंद्र मोदी के रिश्ते जगजाहिर हैं। इसी फैमिली पार्टी में सिंधिया के आगे की सियासी सफर पर चर्चा हुई। उसके बाद सिंधिया आगे की तैयारी में जुट गए थे। आखिरकार उन्होंने मंगलवार को इस्तीफा दे दिया।

Share This Article
Follow:
Sub Editor @dainikreporters.com, Provide you real and authentic fact news at Dainik Reporter. Mobile +917014653770