टोंक(फ़िरोज़ उस्मानी)। खबरदार, खबरदार, खबरदार कहीं आप प्लॉट तो लेने नही जा रहे,या कोई ज़मीन लेने जा रहे है तो सोच समझ कर ही कदम बढ़ाए। ज़रा होशियारी से काम लें, पंपलेट, सोशल मीडिया या अखबारों के विज्ञापन में दी गई बातों को अच्छी से जांच लें। किसी दलाल की बातों में भी नही आए, क्योंकि ये सब गंदा है पर धन्धा है।
काफी लंबे समय से ज़िलें में भू-माफिया सक्रिय है,आमजन को सब्ज़बाग दिखा कर नियम विरुद्ध कॉलोनियां काट कर प्लॉट लेने पर मजबूर कर रहे है।
कोर्ट तक के लगाने पड़ते है चक्कर
लाखों रुपये खर्च करने के बाद भी प्लॉट लेने वाले लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है। कई बार कोर्ट कचहरी तक के चक्कर काटने पड़ जाते है। ज़िला प्रशासन की मिलीभगत से ही ये सब खेल चलता आ रहा है। जांच की जाए तो जिलेभर में गिनी चुनी कॉलोनियां ही नियमों के तहत बनी मिलेगी। सरकार कोई सी भी रहे उनका धन्धा चलता रहता है। कभी भी इन पर लगाम नही लग पाई है।
आमजन को दे रहे झांसा
भू-माफियाओं के कई गैंग्स सक्रिय है,ज़्यादातर इनमें आपराधिक प्रवृत्ति के लोग शामिल है। प्लॉट बेचने के लिए कॉलोनाइजर आमजन को झांसा देते है। गली मोहल्लों में अपने दलाल बिठाए हुए है। इनको अच्छा कमीशन मिलता है,आमजन को बड़ी बड़ी बातें कर आमजन को बेवकूफ बनाते है।
कॉलोनाइजर नक्शो में सड़क,पानी, बिजली,पार्क,सामुदायिक भवन,स्कूल समेत कई सुविधाएं देने की बात करते है।। बाद में इनमें से किसी भी चीज़ पर ध्यान नही दिया जाता है,यहां तक कि पार्क बनाने वाली जगह भी बेच दी जाती है।।
नगर परिषद की है नज़र
बाद में नगर परिषद को अपने राजस्व खर्चे से ये सब करना पड़ता है। राज्य सरकार को करोड़ो का चूना लगाया जाता है। कुछ दिन पूर्व ही नगर परिषद ने कॉलोनाइजर और 34 खातेदारों को नियम विरुद्ध कॉलोनियों काटने पर नोटिस दिए है।। हालांकि अभी तक इन पर कोई कार्रवाई नही हुई है। लेकिन भविष्य में अगर कार्रवाई होती है तो जिन लोगों ने प्लॉट खरीदे है उनको भी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।।
(क्रमशः)।