स्व. परसराम मदेरणा ऎसा व्यक्तित्व थे जिनसे आज भी लोग प्रेरणा लेते हैं- गहलोत

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राजस्थान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि स्व. परसराम मदेरणा ऎसा व्यक्तित्व थे जिनसे आज भी लोग पे्ररणा लेते हैं। वे सिद्धांतवादी और सत्य के पुजारी थे और उन्होंने हमेशा सच्चाई में विश्वास रखा। आज के इस दौर में उनका जीवन सभी के लिए अनुकरणीय है। गहलोत मंगलवार को यहा इंद्रलोक सभागार में पूर्व विधानसभा अध्यक्ष एवं वरिष्ठ किसान नेता स्व. परसराम मदेरणा के जीवन पर वरिष्ठ पत्रकार सत्य पारीक द्वारा लिखी गई पुस्तक ‘धरती पुत्र परसराम मदेरणा‘ के विमोचन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि पुस्तक का टाइटल ‘धरती पुत्र‘ स्व. मदेरणा जी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व के अनुकूल रखा गया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि स्व. मदेरणा का जीवन संघर्षमय रहा। उनका व्यक्तित्व अलग था और उन्होंने कभी सिद्धांतों से समझौता नहीं किया। छोटे से गांव से निकलकर जनसेवा करते हुए उन्होंने राजनीति में अलग स्थान बनाया। किसान हितों के मुद्दे उठाकर वे किसानों के सर्वमान्य नेता के रूप में उभरे। गहलोत ने कहा कि जब स्व. मदेरणा प्रदेश में अकाल राहत मंत्री थे तब वे पश्चिमी राजस्थान का सप्ताह भर का दौरा करते थे और दुर्गम स्थानों तक पहुंचते थे। जनता से जुडे़ इन सरोकारों से मुझे भी उनसे बहुत कुछ सीखने को मिला। मुख्यमंत्री ने कहा कि अपने सिद्धांतों से समझौता नहीं कर राजनीति में इतना ऊंचा स्थान बनाने वाले व्यक्तित्व आज हम सभी को इस बात के लिए प्रेरित करते हैं कि जिंदगी खुद के लिए नहीं बल्कि समाज, देश एवं प्रदेश के लिए समर्पित करें और जनता के ट्रस्टी के रूप में जीवन जियें। उन्होंने कहा कि राजनेता जनता के ट्रस्टी इसलिए हैं क्योंकि वे जनता का वोट लेकर सत्ता में आते हैं। सत्ता में आने के बाद घमंड़ करना सर्वथा अनुचित है क्योंकि देश की जनता के पास ‘रोबस्ट कॉमनसेंस‘ है जो देश में बन रहे वातावरण को समझती है। गहलोत ने कहा कि सूचना के अधिकार जिसकी शुरूआत राजस्थान से हुई थी और यूपीए सरकार ने जिसे कानून बनाकर लागू किया था, उसे कमजोर करने के प्रयास शुरू हो गये हैं। जनहित में बने ऎसे कानूनों को कमजोर नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इतिहास सच पर आधारित होता है लेकिन आज इतिहास को तोड़ने-मरोड़ने के प्रयास हो रहे हैं। जो लोग इतिहास को बदलने का प्रयास कर रहे हैं वे कभी अपना इतिहास नहीं बना पाएंगे क्योंकि जीत हमेशा सत्य की होती है। इससे पहले मुख्यमंत्री एवं अन्य अतिथियों ने ‘धरतीपुत्र परसराम मदेरणा‘ पुस्तक का विमोचन किया।  कार्यक्रम में पूर्व शिक्षा मंत्री घनश्याम तिवाड़ी ने स्व. मदेरणा से जुड़ी कई बातें साझा कीं और बताया कि कैसे उन्होंने सिद्धांतों की दृढ़ता एवं जन कल्याण पर आधारित राजनीति पर जोर दिया।स्व. परसराम मदेरणा की पौत्री एवं विधायक सुश्री दिव्या मदेरणा ने कहा कि उनका जीवन संघर्ष का प्रतीक बनकर उभरा। उन्हाेंने उम्मीद जताई कि इस पुस्तक के माध्यम से स्व. मदेरणा के व्यक्तित्व के कई पहलू युवा पीढ़ी तक पहुंचेंगे। कार्यक्रम की शुरूआत में समाजसेवी राजीव अरोड़ा ने कहा कि यह पुस्तक स्व. मदेरणा जी के आदर्शाें एवं सिद्धांतों से नई पीढ़ी को अवगत कराएगी। पुस्तक के लेखक एवं वरिष्ठ पत्रकार सत्य पारीक ने कहा कि यह पुस्तक स्व. मदेरणा के जीवन से जुड़े कई अनछुए पहलुओं से पाठकों को रूबरू कराएगी।

स्व. मदेरणा जी का जीवन सभी के लिए अनुकरणीय – मुख्यमंत्री

जयपुर

राजस्थान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि स्व. परसराम मदेरणा ऎसा व्यक्तित्व थे जिनसे आज भी लोग पे्ररणा लेते हैं। वे सिद्धांतवादी और सत्य के पुजारी थे और उन्होंने हमेशा सच्चाई में विश्वास रखा। आज के इस दौर में उनका जीवन सभी के लिए अनुकरणीय है।
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गहलोत मंगलवार को यहा इंद्रलोक सभागार में पूर्व विधानसभा अध्यक्ष एवं वरिष्ठ किसान नेता स्व. परसराम मदेरणा के जीवन पर वरिष्ठ पत्रकार सत्य पारीक द्वारा लिखी गई पुस्तक ‘धरती पुत्र परसराम मदेरणा‘ के विमोचन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि पुस्तक का टाइटल ‘धरती पुत्र‘ स्व. मदेरणा जी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व के अनुकूल रखा गया है।
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मुख्यमंत्री ने कहा कि स्व. मदेरणा का जीवन संघर्षमय रहा। उनका व्यक्तित्व अलग था और उन्होंने कभी सिद्धांतों से समझौता नहीं किया। छोटे से गांव से निकलकर जनसेवा करते हुए उन्होंने राजनीति में अलग स्थान बनाया। किसान हितों के मुद्दे उठाकर वे किसानों के सर्वमान्य नेता के रूप में उभरे।
गहलोत ने कहा कि जब स्व. मदेरणा प्रदेश में अकाल राहत मंत्री थे तब वे पश्चिमी राजस्थान का सप्ताह भर का दौरा करते थे और दुर्गम स्थानों तक पहुंचते थे। जनता से जुडे़ इन सरोकारों से मुझे भी उनसे बहुत कुछ सीखने को मिला।
मुख्यमंत्री ने कहा कि अपने सिद्धांतों से समझौता नहीं कर राजनीति में इतना ऊंचा स्थान बनाने वाले व्यक्तित्व आज हम सभी को इस बात के लिए प्रेरित करते हैं कि जिंदगी खुद के लिए नहीं बल्कि समाज, देश एवं प्रदेश के लिए समर्पित करें और जनता के ट्रस्टी के रूप में जीवन जियें। उन्होंने कहा कि राजनेता जनता के ट्रस्टी इसलिए हैं क्योंकि वे जनता का वोट लेकर सत्ता में आते हैं। सत्ता में आने के बाद घमंड़ करना सर्वथा अनुचित है क्योंकि देश की जनता के पास ‘रोबस्ट कॉमनसेंस‘ है जो देश में बन रहे वातावरण को समझती है।
गहलोत ने कहा कि सूचना के अधिकार जिसकी शुरूआत राजस्थान से हुई थी और यूपीए सरकार ने जिसे कानून बनाकर लागू किया था, उसे कमजोर करने के प्रयास शुरू हो गये हैं। जनहित में बने ऎसे कानूनों को कमजोर नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इतिहास सच पर आधारित होता है लेकिन आज इतिहास को तोड़ने-मरोड़ने के प्रयास हो रहे हैं। जो लोग इतिहास को बदलने का प्रयास कर रहे हैं वे कभी अपना इतिहास नहीं बना पाएंगे क्योंकि जीत हमेशा सत्य की होती है।
इससे पहले मुख्यमंत्री एवं अन्य अतिथियों ने ‘धरतीपुत्र परसराम मदेरणा‘ पुस्तक का विमोचन किया। 
कार्यक्रम में पूर्व शिक्षा मंत्री घनश्याम तिवाड़ी ने स्व. मदेरणा से जुड़ी कई बातें साझा कीं और बताया कि कैसे उन्होंने सिद्धांतों की दृढ़ता एवं जन कल्याण पर आधारित राजनीति पर जोर दिया।
स्व. परसराम मदेरणा की पौत्री एवं विधायक सुश्री दिव्या मदेरणा ने कहा कि उनका जीवन संघर्ष का प्रतीक बनकर उभरा। उन्हाेंने उम्मीद जताई कि इस पुस्तक के माध्यम से स्व. मदेरणा के व्यक्तित्व के कई पहलू युवा पीढ़ी तक पहुंचेंगे।
कार्यक्रम की शुरूआत में समाजसेवी राजीव अरोड़ा ने कहा कि यह पुस्तक स्व. मदेरणा जी के आदर्शाें एवं सिद्धांतों से नई पीढ़ी को अवगत कराएगी। पुस्तक के लेखक एवं वरिष्ठ पत्रकार सत्य पारीक ने कहा कि यह पुस्तक स्व. मदेरणा के जीवन से जुड़े कई अनछुए पहलुओं से पाठकों को रूबरू कराएगी।
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