टोंक जिले के किसानों एवं पशुपालकों की आय को दोगुनी करने में अग्रणी भूमिका निभा रहा है पशुपालन विभाग

Sameer Ur Rehman
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टोंक। भारत एक कृषि प्रधान देश है। देश की अधिकतर आबादी गांवों में रहती है। ऐसे में गांवों में रोजगार के अवसर काफी कम होते हैं। लेकिन गांव में रहकर भी लाखों रुपये महीने कमा सकते हैं। गांव में जमीन की कोई कमी नहीं होती है, और अधिकतर ग्रामीणों के पास अपनी खुद की जमीन होती है। ऐसे में आप अपनी भूमि पर डेयरी फार्मिंग में अपनी किस्मत आजमा सकते हैं।

डेयरी फार्म की मदद से आप खुद लाखों रुपये कमाने के साथ दूसरे लोगों को रोजगार के अवसर भी प्रदान कर सकते हैं। जिले के किसानों एवं पशुपालकों की आय को दोगुनी करने में पशुपालन विभाग अपनी अग्रणी भूमिका निभा रहा है।

इसके साथ ही, विभाग की विभिन्न जनकल्याणकारी योजनाएं पशुपालकों के लिए वरदान बन रही है। पशुपालन विभाग द्वारा संचालित विभिन्न योजनाओं का लाभ उठाकर ग्रामीण एवं पशुपालक अपनी आय में लगातार वृद्धि कर रहे है।

पशुपालन से घासीलाल को 5 लाख रुपये की आय प्रतिवर्ष हो रही है

उपखंड मालपुरा के ग्राम भगवानपुरा निवासी घासीलाल ने कृषि के साथ-साथ पशुपालन विभाग द्वारा आयोजित विभिन्न प्रशिक्षणों में भाग लेकर जानकारियों को अपनाते हुए घासी लाल ने उन्नत नस्ल के पशुओं को पशुशाला में शामिल किया। उन्होंने 2 भैंस से पशुपालन प्रारंभ किया था। पशु चिकित्सकों से सलाह लेकर पशुओं की संख्या में वृद्धि की।

वर्तमान में इनके पास 8 भैंस, 3 गाय एवं 10 छोटे पशु है। यह पशुओं की संख्या बढ़ाने के लिए भैंस की मुर्रा व गाय की गिर नस्ल का वैज्ञानिक तरीके से पालन कर रहे हैं। इनकी पशुशाला में प्रतिदिन 45 लीटर दूध का उत्पादन हो रहा है जिससे इन्हें 5 लाख रुपये की आय प्रतिवर्ष हो रही है।

पशुओं के हरे चारे की पूर्ति स्वयं के खेतों से करते हैं। इन्होंने पशुशाला में पशुओं के लिए छायादार शेड तथा पंखों की व्यवस्था भी कर रखी है। घासीलाल ने राज्य सरकार एवं पशुपालन विभाग द्वारा पशुपालकों को समय-समय पर दिये जाने वाले प्रशिक्षणों पर आभार जताया है।

गजानंद के लिए वरदान बना पशुपालन, प्रतिदिन 90 हजार रुपये की हो रही है आय

राज्य सरकार एवं पशुपालन विभाग द्वारा चलाई जा रही ऋण की विभिन्न जनकल्याणकारी योजनाओं से प्रदेश एवं जिले के सभी वर्गों को राहत मिल रही हैं। विभिन्न वर्ग और समुदाय के लोग राज्य सरकार विभाग की विभिन्न जनकल्याणकारी योजनाओं में ऋण लेकर व्यवसाय कर अत्यंत हर्ष का अनुभव कर रहे हैं।

जिले में स्थित ग्राम मोर के रहने वाले पशुपालक गजानंद भारती ने नाबार्ड से ऋण लेकर 3 उन्नत नस्ल की भैंसों से अपने पशुपालन व्यवसाय की शुरुआत की। गजानंद पशुपालन विभाग द्वारा आयोजित प्रशिक्षण शिविरों में समय-समय पर भाग लेकर नवाचारो को अपनाते हुए वैज्ञानिक विधि से उन्नत पशुपालन कर रहे है। यह पशु चिकित्सको की सलाह एवं वैज्ञानिक पद्धति को अपनाते हुए अपने पशुओं को अजोला यूनिट एवं संतुलित पशु आहार देते है।

साथ ही, पशुओं के गोबर से वर्मी कम्पोस्ट बनाकर अपनी कृषि भूमि को उपजाऊ बना रहे है। इनके पास वर्तमान में उन्नत नस्ल की 10 भैंस एवं 3 गाय है। गजानंद को 50 लीटर दूध उत्पादन से प्रतिदिन 3000 रुपये की आय हो रही है। अपने घर पर प्रतिदिन 3000 रुपये की अर्जित आय से प्रसन्न गजानंद ने कहा कि ग्रामीणों को नवीन तकनीक अपनाकर पशुपालन करना चाहिए। इससे उनके परिवार को आर्थिक लाभ मिलेगा। अपनी सफलता के लिए इन्होंने राज्य सरकार एवं पशुपालन विभाग को धन्यवाद दिया है।

पशुपालकों के प्रेरणा स्त्रोत नरेश कुमार मीणा मुर्गी एवं पशुपालन से प्रतिवर्ष 4 लाख रुपये की आय अर्जित कर रहे है

विभिन्न फसलों की खेती के साथ-साथ किसानों की आजीविका और उनकी आमदनी के विश्वसनीय स्रोत के रूप में मुर्गी पालन भी उभर रहा है। जलवायु परिवर्तन, मौसम में अनिश्चितता एवं अन्य कारणों से फसलों का उत्पादन प्रभावित होता है।

बढ़ती आमदनी और खाने-पीने की आदतों में बदलाव के कारण कृषि पर आधारित खाद्य पदार्थों की तुलना में दूध, मांस और अंडे जैसे पशु उत्पादों की मांग तेजी से बढ़ रही है। ऐसे अनेक कारणों ने खेती की तुलना में मुर्गीपालन को और अधिक आकर्षक बना दिया है। इसके साथ ही, मुर्गीपालन में बहुत ही कम पूंजी एवं मेहनत लगती है।

उपखंड देवली के समीप बनास नदी किनारे हरी-भरी वादियों में बसे ग्राम जलसीना के निवासी नरेश कुमार मीणा ने पढ़ाई पूर्ण करने के बाद नौकरी की तलाश नहीं करके वैज्ञानिक तरीके से कृषि एवं पशुपालन को अपना व्यवसाय बनाया। मीणा गत 5 वर्षों से गांव में स्वयं की भूमि पर कृषि के साथ-साथ मुर्गी एवं बकरीपालन को अपनाकर व्यवसाय कर 4 लाख रुपये की आय अर्जित कर रहे है।

इनके पास 100 देसी नस्लों की मुर्गियां एवं 40 बकरियां है। नरेश ने पशुपालन विभाग के चिकित्सको की सलाह एवं वैज्ञानिक तरीके से नस्ल सुधार, आवास व्यवस्था, स्वास्थ्य व पोषण का प्रबंधन करके अपने पशुपालन को उन्नत बनाया। इसके साथ ही, अपने पशुओं को नेपियर घास व अजौला खिलाने के साथ-साथ नेपियर एवं अजौला घास को बेचकर अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं। पशुपालको तथा युवा पीढ़ी के प्रेरणा स्त्रोत

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Editor - Dainik Reporters http://www.dainikreporters.com/