सवाई माधोपुर / चौथ का बरवाड़ा / अशोक सैनी।अक्षय तृतीया का दिन शादी व अन्य मांगलिक कार्यों में सबसे शुभ दिन माना जाता है। इस अवसर पर पूरे देश में बडी संख्या में मांगलिक कार्य होते है, लेकिन एक ईलाका ऐसा भी है, जहां आखातीज पर मांगलिक कार्य नहीं होते है तथा शोक मनाया जाता है। यह क्षेत्र है चौथ का बरवाडा कस्बा एवं उससे जुड़े अट्ठारह गांव जहां पर अक्षय तृतीया पर किसी तरह का कोई मांगलिक कार्य नहीं होता है।
यहां तक की लोग घरों में सब्जियां भी नहीं बनाते है। सालों से चली आ रही यह परंपरा आज भी कायम है। जहां पर यदि कोई शादी होती है तो बारात एक दिन पहले या एक दिन बाद में जाती है तथा अक्षय तृतीया के दिन पूरे क्षेत्र में सन्नाटा रहता है।
चौथ का बरवाड़ा. अक्षय तृतीया का दिन शादी व अन्य मांगलिक कार्यों में सबसे शुभ दिन माना जाता है। इस अवसर पर पूरे देश में बडी संख्या में मांगलिक कार्य होते है, लेकिन एक ईलाका ऐसा भी है, जहां आखातीज पर मांगलिक कार्य नहीं होते है तथा शोक मनाया जाता है।

यह क्षेत्र है चौथ का बरवाडा कस्बा एवं उससे जुड़े अट्ठारह गांव जहां पर अक्षय तृतीया पर किसी तरह का कोई मांगलिक कार्य नहीं होता है। यहां तक की लोग घरों में सब्जियां भी नहीं बनाते है।

सालों से चली आ रही यह परंपरा आज भी कायम है। जहां पर यदि कोई शादी होती है तो बारात एक दिन पहले या एक दिन बाद में जाती है तथा अक्षय तृतीया के दिन पूरे क्षेत्र में सन्नाटा रहता है।