जयपुर/उदयपुर/ सरकारें ईमानदार और कर्तव्यनिष्ठ अधिकारियों को कलेक्टर और एसपी जैसे महत्वपूर्ण अर्थात मलाईदार पदों पर नियुक्त नहीं करती है बल्कि उन्हें ऐसे पदों पर लगाया जाता है जिन्हें ब्यूरोक्रेसी में बर्फ वाली जगह कहा जाता है और इसे दूसरे शब्दों में सजा वाली पोस्ट या काले पानी की सजा जैसे शब्दों से अलंकृत किया जाता है।
ऐसे में ईमानदार और कर्तव्यनिष्ठ अधिकारियों में हीन भावना बढ़ती है इसके साथ ही ऐसी कार्यप्रणाली के कारण भ्रष्टाचार भी बढ़ता है इसे यूं कहें तो अतिशयोक्ति नहीं होगी कि ईमानदार और कर्तव्यनिष्ठ अधिकारी के मन में भी फिर रिश्वत और घूसखोरी की भावना आने लगती है।
यह खुलासा हुआ है उदयपुर में स्थित इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ मैनेजमेंट द्वारा किए गए शोध में। देश में पहली बार ऐसा शोध किया गया है।
आई आई एम उदयपुर के प्रोफेसर डॉ सौरव गुप्ता प्रोफेसर डॉ राजीव वर्मा और प्रोफेसर डॉक्टर रेग्नि बिरनर के साथ राजस्थान बिहार छत्तीसगढ़ हरियाणा गुजरात पंजाब और मध्य प्रदेश अर्थात 7 राज्यों के 86 लोगों पर शोध किया
इनमें यूपीएससी की प्रारंभिक परीक्षा पास करने वाले बिहार के 36 अभ्यर्थी के अलावा अन्य राज्यों के 50 अधिकारी शामिल है इन 7 राज्यों के इस शोध में अधिकारियों की रिश्वत और भ्रष्टाचार के मामले में एक जैसी सोच निकल कर सामने आई
शोध में रिश्वत के पैसे को कम मध्यम और उच्च स्तर पर रखा गया पकड़े जाने की आशंका सजा का स्तर और इससे जनता के नुकसान को कम मध्यम और उच्च स्तर पर बांटा गया इस शोध में राजस्थान के 10 अधिकारी और यूपीएससी प्री पास करने वाले 5 अभ्यर्थी शामिल हैं इनमें प्रायोगिक खेल और सामूहिक परिचर्चा के माध्यम से उनकी ईमानदारी और भ्रष्टाचार की सोच पर रिसर्च किया गया
भ्रष्टाचार पर लगाम कसने समाधान भी पूछे तो सामने आया कि भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कानून तो है लेकिन उन्हें अंजाम तक नहीं पहुंचा पाते क्योंकि सरकारी व्यवस्था ही खराब है